IMMUNE HERBS IN AYURVEDA

AMLA  { INDIAN GOOSEBERY}-: It is a rich source of vitamin c { Ascorbic acid} it help in strengthening  liver function which increases our body detoxification process and make us healthier by promoting new cell growth and hence increase immunity .

MULETHI { LIQUORICE ROOT } -: It contains anti-  microbial agent called glycyrrhizen which inhibits growth of harmful , microbes attacking body defence mechanism .

TULSI { BASIL]-: It is anti -asthmatic and Nanti – infective . Fresh tulsi juice and few drops of ginger and honey daily is a best to increase body efficiency to  fight and diseases .

ASHWAGANDHA -: It act as rejuvenator and stimulator for body . 3-6 gm of powdered ashwagandha and glass of wram cow  milk is good for health .

OJAS DRINK OR AYURVEDIC HELTH BOOSTING DRINK

-: 2-3 dates

-: 2-4 –  strands of saffron

-: 1 table spoon full ( tsf) of shredded coconut

-: 1 tsf of  raw honey

-: 1 tsf of cow ghee

-: 5 tsf of blanched  almonds .

blend all these indegrents in 300 gm  ounces of milk (raw cow, almond milk ,organic milk ) drink it daily .

-: Do regular yoga and live a balanced life style and eat a balance diet for a healthy  immune system and a healthier life. For more consult an experienced ayurvedic consultant for more health regarding queries.

 

Weight Loss Diet Chart For Winters

As soon as you wakeup : Have two glasses of warm water .

BREAKFAST -: One cup tea without sugar / green tea/ herbal tea with

-: Poha/ 1 moong dal chila

-:Two slices whole wheat bread with green chutney , cucumber , tomato/ two egg white

-; One cup oats or muesli with skimmed milk without sugar

MID MORNING-:One cup of green tea and few nuts almonds /walnuts soaked or one fruit

-: One cup of juice of tomato , carrot. bottle gourd

LUNCH                  -: One millet roti or one cup brown rice

-: Vegetables cooked in less oil

-: Sprouts or pulses or dals

-: Salad

EVENING                -: One cup green tea or herbal or regular tea and Low fat milk with no sugar

-: Diet snacks liked roasted chana or roasted  kurmura or non oily khakhra

-: 6: pm  one fruit {apple , orange, melon , papaya , pomegranate }

DINER                     7:30  to 8:OO pm

-: One bowl of veg soup and salad

-; Sauteed or steamed  vegitables

-;  One millet roti / one bowl moong + brown rice khichdi with vegetables

Eat fresh and healthy , eat more whole grain cereles . Use low fat milk or skimed milk for yoghurt , tea , oats . Avoid  stale foods , oily snacks , high calorie deit . Avoid excess in take of soft drink chilled beverages , tea , coffee

Avoid alcohol and smoking , avoid use of excess salt and sweet

Exercise regularly, Eat variety of foods like nuts sprouts  , whole grain food ,vegetables  , fruits . Do yoga , pranayam , kapalbhati  anulom vilom etc. For more consult ayushveda centre.

 

 

 

 

Skin Type According To Ayurveda .

 Skin  Type  According To  Ayurveda .

In Ayurveda we different skin type according to person parkriti  (vata,pitta,kapha,)

  Ideal  Skin .   

A healthy skin should always be  glowy and attractive even when devoid of make-up.

   Ideal skin features. 

Person with healthy skin have lustrous ,soft ,oily ,thin ,smooth skin

Any wound on skin heals quickly.

Mouths ,lips ,palate and tongue are oily.

Hairs are thin , soft , scanty , black and deep rooted.

The skin is free from any skin disease .

   Vata Skin. 

Vata skin is dry , rough ,easily get dehydrated ,cool to touch  , delicate , thin and gets more  dry in dry windy weather , age faster .

     Pitta Skin. 

Pitta skin is Medium  , thick , sensitive , soft , warm to touch  , fair , less tolerant to heat  . Pitta skin often  gets moles , freckles ,  acne sun spot  , rashes quickly .

       Kapha Skin .    

Kapha skin is pale , thick  , oily , dull complexion , blackheads  , enlarged pores, age slower ,and is more prone to water retention and sunlight .

In  ayurveda with herbs, panchkarma and ayurvedic medicine we  treat any skin disease like psoriasis , aczema , pimples , blamashes etc.

माइग्रेन से मुक्ति पाएं आयुर्वेद अपनाएं ।

आजकल हम सभ की जिंदगी बहुत व्यस्त हो गई है । कई लोगों के पास तो आराम से बेठ कर खाना खाने तक का टाइम नहीं होता । लोग मशीन की तरह काम कर रहें हैं , जिससे उनकी जिंदगी में तनाव और अनिद्रा बनी रहती है । माता पिता अपने बचों को पूरा समय नहीं दे पाते जिससे उनको अकेलापन महसूस होता है और वेह अपनी भावनाओं को दबा कर रखते हैं । लोग कोम्पुटर और मोबाइल पर सारा दिन लगे रहते हैं जिससे माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है । यह बीमारी पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में देखि जाती है , अधिकतर महिलाऐं इससे पीड़ित होती हैं । माइग्रेन की बीमारी दिनों दिन बढती जा रही है । वात वर्धक आहार का अधिक सेवन करने जेसे चावल,राजमह,उड़द की दाल,आलू , मटर ,सफ़ेद चने,कड़ी,लस्सी अदि से माइग्रेन होता है । ज्यादा देर तक भूखे रहने से भी हो सकता है ।

माइग्रेन के लक्षण :

# सर में दर्द रहता है यह दर्द पूरे सर में या आधे सर में हो सकता है

# कभी कभी बहुत तेज दर्द होता है या कभी हल्का दर्द होता है ।

# उलटी आने का मन होना या कई बार उलटी अ जाती है ।

# कई रोगीओं को उलटी आने के बाद थोरा दर्द में आराम मिलता है ।

# माइग्रेन का दर्द कुछ दिन से लेकर कई महीनों तक रह सकता है ।

# माइग्रेन में धयान केन्द्रित नहीं रह पाता ।

# भूख कम लगती है ।

# सोचने की शक्ति कम हो जाती है ।

# यादाश्त कमजोर हो सकती है ।

माइग्रेन में सलाह :

# पर्याप्त मात्र में एवं समय पर भोजन करें ।

# रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें ।

# पदमासन 30 मिनट करें ।

# बादाम का सेवन जरुर करें रोजाना १० बादाम खाएं इससे ब्रेन को ताकत मिलती है ।

# काफी में कैफीन होता है जिससे दर्द में में राहत मिलती है ।

# रोजाना २ सेब खाएं ।

# भरपूर नींद लें ।

# रोजाना नाक में २-२ बूँद गाये का घी डालें ।

# कम आवाज में धार्मिक संगीत सुने ।

# लहसुन , अदराक एवं हींग का सेवन ज़रूर करें इससे अधिक हुआ वात शांत होगा और दर्द कम होगा ।

# शिरोधारा एक आयुर्वेदिक पद्धति है जिससे लगातार करवाने से माइग्रेन बिलकुल ठीक हो जाता है और ढ़ां केन्द्रित करने में भी यह बहुत उपयोगी है ।

माइग्रेन को नजरंदाज नहीं करना चाहिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें । अधिक पैन किलर्स न लें क्यूंकि पैन किलर्स खाने से लीवर और गुर्दों पे बहुत बुरा असर पड़ता है ।

 

डेंगू के कारण एवं घरेलु उपाए

हर साल डेंगू के कारण दुनिया भर में हजारों लोग बीमार होते  हैं । डेंगू होने पर खून में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं , बुखार आता है । यह बीमारी एडीस नाकमक मच्छर के काटने से होता है । यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय काटता है । किसी रोगी के बाद जब मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वायरस उसके शरीर में चला जाता है और रोग का रूप ले लेता है । यह ज्यादातर ड्रम , टंकी , कूलर में पड़े पानी में मच्छर अंडे देता है । इस बीमारी में लोग घबराने लगते हैं लेकिन इसमें धैर्य की जरुरत है , डेंगू का इलाज घरेलु नुस्खे और डॉक्टरी सलाह से आराम से किआ जा सकता है ।
एलोपैथी में डेंगू के इलाज की कोई दावा नहीं होती । बुखार को तो रोका जा सकता है पर प्लेटलेट्स को काम होने से रोकने की कोई दावा नहीं होती । अधिक प्लेटलेट्स कम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़ते हैं या फिर खून चढ़ाना पड़ता है । बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स कम होने से रोगी की जान को भी खतरा हो सकता है ।
डेंगू के लक्षण :
शुरुआत में व्यक्ति को बुखार होता है ।
सर दर्द हो सकता है ।
भूख काम हो जाती है ।
जोड़ों में दर्द , शरीर दर्द ।
भूक कम हो जाती है ।
उलटी आने का मन होना या उलटी आनी ।
पेट में दर्द होना ।
डेंगू में घरेलु उपचार :
गिलोयः गिलोय का आयुर्वेद में बहुत महत्व है इससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है । इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सर्व किया जा सकता है । इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जा सकते हैं ।
मेथी के पत्तेः यह पत्तियां बुखार कम करने के लिए सहायक हैं. यह पीड़ित का दर्द दूर कर उसे आसानी से नींद में मदद करती हैं । इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर उसके पानी को पीया जा सकता है । इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं ।
पीपते के पत्तेः यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है. साथ ही ।  बॉडी में दर्द, कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है । इसकी पत्तियों को कूट कर खा सकते हैं या फिर इन्हें ड्रिंक की तरह भी पिया जा सकता है, जो कि बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करते हैं ।
गोल्डनसीलः यह नार्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है, जिसे दवाई बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है । इस हर्ब में डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है । यह पपीते की पत्तियों की तरह ही काम करती हैं और उन्हीं की तरह इन्हें भी यूज किया जाता है । इन्हें कूट के सीधे चबाकर या फिर जूस पीकर लाभ उठाया जा सकता है ।
हल्दीः यह मेटाबालिज्म बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है । यही नहीं, घाव को जल्दी ठीक करने में भी मददगार साबित होती है । हल्दी को दूध में मिलाकर पीया जा सकता है ।
तुलसी के पत्ते और काली मिर्चः तुलसी के पत्तों और दो ग्राम काली मिर्च को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है । यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है ।

Ayurvedic  treatment  for psoriasis

Psoriasis is a non-contagious  skin disease that causes rapid skin cell reproduction resulting in red, dry patches of thickened skin,  dry flakes and skin scales are thought to result from the rapid buildup of skin cells. Psoriasis commonly affects the skin of the elbows, knees, and scalp. . Heredity factor is also important , if a parent is suffering then there are 15% of chances that  problem can carry forward  and if both parents suffers than chances can be 50%.  Medicines which are mostly prescribed by dermatologists sometimes can cause side effects in treatment of psoriasis

Some major symptoms may include:
Loose silvery scales.

Itching or burning skin.

Raised pus-filled skin bumps.

Skin redness around pustules.

Restricted joint motion.

Emotional distress.

Skin pain and inflammation.

Skin blisters.

Dry skin patches.

Bleeding skin patches.

 

Every  person has a distinct energy pattern made of three types of energies. These energies are known as doshas, and include:

  • vata energy, which controls bodily functions.
  • pitta energy, which controls metabolic functions.
  • kapha energy, which controls growth in the body.

Ayurvedic  view on psoriasis:

According to Ayurveda, Psoriasis occurs due to imbalance of two doshas – Vata and Kapha . These both  manifest in the skin and cause accumulation of toxins, which accumulate in deep tissues like rasa (nutrient plasma), rakta (blood), mansa (muscles), and lasika (lymphatic). These toxins cause contamination of deeper tissues, and cause  Psoriasis.  Ayurveda is an ancient, holistic form of treatment. Originated in northern India ,  Ayurveda is based on the premise that good health depends on a healthy body, mind, and spirit. With ayurvedic  medicines we can manage your symptoms and if treated for few months one can overcome its symptoms.

Panchakarma is detox treatment and is used for treating psoriasis , treatments use plant-based remedies and dietary change.

The Panchakarma treatments include:

  • consuming medicated ghee, a form of clarified butter.
  • purging and vomiting.
  • dripping medicated buttermilk on a person’s head.
  • covering the entire body in a paste of medicines and mud.
  • medicated enemas.

 Ayurvedic herbal remedies may also be used to treat psoriasis:

  • black nightshade(makoi) juice to reduce inflammation .
  • garlic and onions to purify the blood.
  • jasmine flower paste to relieve itching and reduce inflammation.
  • guggal to reduce inflammation.
  • neem to boost the immune system and purify the blood.
  • turmeric to reduce inflammation, redness, and swelling.
  • boswellia  to reduce inflammation and support the immune system.

In autoimmune diseases like psoriasis to work on immune level is very important . In ayurvedic system of medicine we use best ayurvedic formulations for treating this disease .

Ayurvedic  detox tea to lose fat .

By ayurvedic medicine from mother nature we can detoxify our body and can burn excessive fat from body  by increasing the detoxification capacity of liver . Prepare this detox  herbal tea in morning and sip it all through  the  day  .

Get  these :

  • Cumin seeds- ½ tsp
  • Coriander seeds- ½ tsp
  • Fennel seeds- ½ tsp
  • Water- 5 cups
  • Thermos Flask- 1

How to prepare :

Boil water in morning .

Add cumin, coriander and fennel seeds to the boiling water and continue boiling for 5 more minutes  Cover the pot while the water boils.

Strain the tea and pour it into the thermos flask, Sip small amounts of this detox tea through out the day.

Aloevera juice for losing abdominal fat :

It has many health benefits one of them is to lose belly fat , its regular consumption increases metabolism and have antioxidant properties.

Get these :

  • Aloe vera juice- 30 g
  • Turmeric powder- 3 g
  • Cumin seeds powder- 3 g
  • Tinospora cordifolia powder (giloy/guduchi)- 3g
  • Terminalia chebula powder (haritiki)- 3 g
  • Warm water- ½ glass
  • Honey (optional)- 1 tsp

How to prepare :

  • Mix aloe vera juice and all the other herbs powders in half glass of lukewarm water.
  • If you want it to be sweet, mix a little honey to it.
  • Mix well and drink it in the morning on an empty stomach.
  • After having this herbal aloe vera juice, do not eat anything for about an hour.

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के कारण एवं घरेलु उपचार ।

आजकल की भागदोड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत का धयान  पूरी तरह से नहीं  रख पाते और व्यायाम भी कर नहीं पाते जिसके कारण कई तरह के रोग हमें घेरे रखते हैं । जोड़ो के दर्द , कमर दर्द,सर दर्द ,तनाव ,अनिद्रा ,सर्वाइकल दर्द , आज कल आम हो गया है. सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस एक तरह का गर्दन का गाठिया होता है । सभी उम्र के लोगों में और अज कल तो युवाओं में भी ये काफी देखने मैं मिल रही है।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिसके कारण :

अधिक वात वर्धक आहार जेसे चावल , राजमह,उड़द की दाल ,आलू ,मटर,गोभी,कड़ी ,लस्सी अदि से वात अधिक होने के कारण सर्वाइकल दर्द हो सकता है। पोष्टिक आहार न लेने से भी हो सकता है । ज्यादा देर कुर्सी पे बेठे रहना , गर्दन झुका के काम करना , मोबाइल का अधिक प्रयोग करना गर्दन झुका के करने वाले काम इसके कारण एवं बेठने और चलने के गलत पोस्चर से हो सकते हैं । गर्दन पर दबाव पड़ने से या गलत व्यायाम करने से भी समस्या हो सकती है । हमारे सर्वाइकल मनको मैं एक कुदरती झुकाव या कर्व होता है जो समय के साथ सीधा होने लगता है । और आगे चलकर सर्वाइकल की समस्सया को खड़ा करता है ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के लक्षण :

गर्दन में जकड़न एवं दर्द ।

बाजु में दर्द ।

सर के पीछे दर्द या पुरे सर मैं दर्द ।

गर्दन में सोजिश ।

गर्दन से लेकर नीचे कमर तक दर्द जाना ।

चक्कर आना ।

उलटी आना या उलटी का मन होना ।

नींद कम आना ।

गर्दन में कड़ कड़ की आवाज आना ।

गर्दन हिलाने डुलाने से दर्द का अधिक होना ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के घरेलु उपचार :

व्यायाम करने से दर्द में आराम मिलता है , व्यायाम डॉक्टर  की सलाह से करें क्यूँ की गलत व्यायाम से समस्सया अधिक बड़ सकती है ।

अदरक , सोंठ , हींग अदि में ओषधिय गुण होते हैं और वात को भी शांत करता है खाने में जरुर इस्तिमाल करें ।

रोजाना हल्दी वाला दूध पिएँ इससे दर्द कम होगा और सोजिश में भी आराम मिलेगा ।

लहसुन का इस्तेमाल जरुर करें , या रोजाना लहसुन के २ बीज खाएं ।

तिल के तेल गर्म करके रोजाना हलकी मालिश करें ।

गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें दर्द एवं सोजिश में आराम मिलेगा ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस कोई लाइलाज बीमारी नहीं है थोड़ा ध्यान रखते हुए हम इससे बच सकते हैं ।

समस्सया अधिक होने पे डॉक्टर की सलाह लें . आयुर्वेद में पंचकर्म में पोटली स्वेद एवं ग्रीवा वस्ति से बहुत लाभ होता है ।

मूंगफली के स्वास्थ्यवर्धक लाभ जानकर आप रह जायेंगे दंग … जानिये कैसे मूंगफली रखती है आपकी त्वचा को हमेशा जवान

जानिये मूंगफली के स्वास्थ्यवर्धक लाभ और रखिये खुद को स्वस्थ …जानिए कैसे

मूंगफली हम सबका सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है जिसे समूह में बैठकर खाने का एक अलग ही मज़ा है | सर्दियों में मूंगफली सस्ते बादाम के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें लगभग वे सारे तत्व पाए जाते हैं जो बादाम में पाए जाते हैं | इसकी अपनी एक अलग मिठास होती है | मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और जिंक भी पाए जाते हैं जो शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत जरूरी होते हैं | इसके अलावा इसे खाने से ताकत मिलती है | आइये जानते हैं इसके और क्या है स्वास्थ्यवर्धक लाभ |
 

क्या हैं मूंगफली खाने के फायदे

 
कब्ज़ दूर करे :- मूंगफली में मौजूद तत्व पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं | इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है |

 

त्वचा को कोमल और नम बनाये :- ओमेगा 6 से भरपूर मूंगफली त्वचा को भी कोमल और नम बनाती है | कई लोग मूंगफली के पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के तौर पर भी करते हैं |

 

पाचन क्रिया को सुधारे :- मूंगफली खाने से शरीर को ताकत मिलती है | इसके अलावा ये पाचन क्रिया को भी बेहतर रखने में मददगार है साथ भूख न लगने की समस्या भी दूर हो जाती है।

 

प्रोटीन का खजाना :- सेल्स के बनने में प्रोटीन एक एहम भूमिका निभाता है। प्रोटीन नए सेल्स के बनने और पुराने सेल्स को ठीक करने का काम करता है |

 

हारमोंस का संतुलन बनाये रखे :- रोजाना थोड़ी मात्रा में मूंगफली खाने से महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन्स का संतुलन बना रहता है। कामेच्छा में वृद्धि होती है |

 

बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोके :- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसे बारीक रेखाएं और झुर्रियों को बनने नहीं देते और त्वचा हमेशा जवान रहती है |

 

हड्डियाँ मज़बूत करे :- इसमें कैल्शियम और विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसके सेवन से हड्डियाँ मजबूत बनती हैं |

 

गैस व एसिडिटी की समस्या दूर करे :- मूंगफली में तेल का अंश होने से यह पेट की बीमारियों को खत्म करती है। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर होती है। साथ ही गैस व एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है।

Vascular Endothelial Dysfunction

Vascular Endothelial Dysfunction

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In Ayurveda we have medicines to cure vascular endothelial dysfunction,  a critical element in the pathogensis of atherosclerotic vascular blockage (dhamni avrodh), hypertension and diabetic neuropathy and gengrene,  can can also be used as generalized cardio vascular tonic with anti ageing capability for geriatrics.
History

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Shushruta a well known ayurvedic sergion mentioned symptoms similar o atherosclerosis under medoroga (1000 BC). Heart diseases are well explained in ayurvedic text charak samhita 1000 BC, describes the reasons for cardiac problems and the means for their prevention as follows: cardiac disease of Kara type are born by the intake of fatty meals and over eating, and also by excessive indulgence in sleeping  sedentary habits.  The person to be protected from the adverse effects upon his heart,  coronary blood vessels,  and the contents there of should particularly avoid all that causes mental affliction ( charaka sutra,  30/13).
In modern medicine vascular endothelial relaxation factor (nitric oxide) being identified in the year 1988 by Iganarro and Palmer,  after the relaxation o various factors associated with vascular endothelial dysfunction and diseases correlated.
Disease Burden
Vascular endothelial dysfunction and atherosclerosis together comprises of many diseases and mostly come under cardiovascular diseases. As on date there is no direct single molecule to treat this disease complex.  The treatment package includes lipid lowering drugs,antioxidants, blood thinners, vascular relaxants, anti platelet drugs etc. As per world health organization 2012 report, one in three adults worldwide has raised blood pressure – a condition that causes around half of all deaths from stroke and heart disease,  blindness and kidney failure.
Vascular Endothelial Dysfunction

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Endothelial dysfunction can be defined as,  “the partial or complete loss of balance between basic instructors and vasodilators,  growth promoting and growth inhibiting factors,  pro-atherogenic and anti-atherogenic factors “. Endothelial dysfunction is the root cause of many diseases and disorders and important event in the development of micro vascular complications in diabetes and hypertension.
Atherosclerosis
Atherosclerosis is actually a generic term for a number of diseases in which the arterial wall becomes thickened and looses elasticity.  The term atherosclerosis is derived from combining Greek words athero (paste) and sclerosis(hardness). Atherosclerosis involves a process that causes a build up of deposits occur in the tunica intica (the inner layer of the blood vessels ) of large and medium sized arteries  Thickening is due to the accumulation of the fat and layer of collagen fibers and platelet aggregation.
Risk Factors For The Endothelial Dysfunction And Atherosclerosis

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Male gender,  lowered levels of the hormone estrogen following menopause in females,  older age,  high blood pressure,  high LDL (bad) cholesterol and/or high triglycerides,  elevated homocystiene levels,  low HDL (good) cholesterol,  family history of atherosclerosis (which may lead to learned behaviour rather than genetic factors ) , cigarette smoking and regular exposure to second hand smoke pollution,  diabetes mellitus,  deficiency of trace minerals and essential fatty acids,  obesity,  particularly in the abdominal region,  rheumatoid arthritis,  dental infection,  sedentary lifestyle, diets high in saturated fat and trans fatty acids,  stress, depression and many more etc.
Herbs that treat Vascular endothelial dysfunction
Arjuna,  gokshura, pushkarmoola,vrikshamla,jatamansi,kurubaka,vetasamla.
For more details please visit