ABHYANGAM MASSAGE

ABHYANGAM

It is commonly Known as Ayurvedic oil massage. Abhyangam  ‘Oil Application.’

USES :  It provides cure mainly from vata disorders like stroke , Arthritis , sport injuries , Lumber  spondylitis , Parkinson , and various , joint disorders .

   It gives strength to blood vessel  which helps in toning skin and cures nervous disordors.

  It also reduces hair fall.

  It also calms mind and cures disordors like insomnia stress and gives  relaxation effect to the body.

It strengthen  sensory (skin , eyes ) and motor ( hands , legs ) system .

It improves the muscle tone and gives strength to immune system of body.

It relieves fatigue and feeling of tiredness  and exhaustion.                   

It helps in maintaining  complexion , lusture and texture of skin.                         

It helps in preventing itching skin dryness and skin ageing.                       

                     ‘Oil used’’                        

Ayurvedic and medicated oils are used for  Abhyangam therapy.

Seasame oil , Olive oil , Mahanarayan oil . Ksheerbala oil and other herbal oils are used.

Abhyangam  is also beneficial in after delivery and before delivery women .

Abhyangam  is also beneficial for babies after seven days of birth onwards.

Abhyangam  therapy should always be done under proper guidance and should be done by Expert Ayurvedic therapists espically in babies and ante-natal womens.

A proper diet schedule should be maintained during Abhyangam therapy.

       For more information visit Ayushveda Ayurvedic & Panchkarma Centre.                                                      

Ayurvedic Massage

Ayurvedic Massage

Ayurvedic massages supplies proper circulation, which helps body to rejuvenate and to grow. It gives relaxation and eliminates unwanted toxins from body. It helps all the systems of our body physically. Also it helps to remove energies that store past tensions and emotional problem from mind. Our massage technique provides relaxation, elimination of toxic and helps in proper circulation. Ayurvedic doctors developed a special system of their own that contained knowledge of Ayurvedic system of medicine. Traditional Indians massage is based on ‘Doshas’ and ‘marmas’ these are pressure points. These massages are should only be done under supervision of an ayurvedic doctor.

Marmas- Indian Reflexology

Marmas should be understood as function of the organic principles: ligaments, muscles, bones and joints. The four type of vessels are nerves, lymph, arteries and veins. By making a gentle circular movements with either the forefinger or the middle finger on a marma, toxics eliminates form body.

Ayurvedic Massage Oils

These disperse heat evenly through the body and eliminates friction. This provides nutrients for skin and gives strength to hair follicles. Application of oil to navel before sleep cures dryness of whole body. And when medicated oils are applied at function of spine and skull, these calm the nervous system, strengthen memory and eyesight is also improved.

Massage oils for children and women: 4 cups of sesame oil, and 2 tablespoons of jasmine, wheat germ oil and almond oil.

Massage oil for men:- 4 cups of sesame oil, 2 tablespoons of mustard oil, half teaspoon of asafoetida. Filter the mustard oil, then add 3 tablespoon of turmeric powder and cook until turmeric turn dark brown. Then add to the sesame oil.

Aggravited Dosha primary oil massages

  • Vata      sesame oil
  • Pitta      coconut oil
  • Kafa      Mustard oil or olive oil
  • Babuna (chamomile )      oil is used for relief of muscular pains. Coriander oil removes excess body heat.
  • Ubtan       Indian beauty massage: 40 days of cause, includes specific diet, herbal teas, bath and relaxation
  • Ubtan       Ubtan’ is a paste prepared from nuts, flowers and oils. By giving massage ‘Ubtan’ paste is removed in a cold water bath.

Full Body ‘Ubtan’:

  • 4 table spoon chickpea flower
  • 2 tablespoon of almond oil
  • 1 table spoons of turmeric powder
  • 1 teaspoon of fenugreek powder
  • 1 teaspoon of wheat germ oil
  • ¼ teaspoon of rose oil.

Facial ‘Ubtan’

  • 1 tablespoon of almond paste
  • 1 tablespoon cashew paste
  • One and half teaspoon of pistachio paste
  • 1 tablespoon of wheat germ oil
  • ¼ cup hed
  • 1 tablespoon malai
  • 1 tablespoon of rose water

मोटापे से मुक्ति पाएं , आयुर्वेद के साथ वजन घटाएं ।

 

आजकल की व्यस्त जिंदगी में शारीरिक श्रम ना के बराबर होने के कारण एवं खान पान नियमित ना होने से मोटापा एक महामारी की तरह समाज में फैलता जा रहा है । मोटापे से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं जो आगे चलकर हमारे शारीर को बहुत नुक्सान पनुंचा सकते हैं । वजन कम करना एक एसा विषय है जिसपे आप जितने मुह उतनी बातें सुनते हैं , लोग एक से बढकर एक उपाय एवं डाइट प्लान बताते हैं , जिसके हिसाब से यह बच्चो का खेल है , लेकिन असल में वजन बड़ने का कारण सीधा है खाने पीने में आप जितनी केलोरीस ले रहे हैं और उतनी अगर उपयोग नहीं कर रहे है तो वजन बढेगा ही क्यूंकि बची हुई कैलोरीज हमारे शारीर में फैट के रूप में जमा होती है । अपना बी एम् आई यानि बॉडी मॉस इंडेक्स जानकर आप देखें की आपको कितना वजन कम करने की जरुरत है । 18.5 से कम (कम वजन ), 18.5 से  25 (सामान्य वजन ) 25 से 29.9 (अधिक वजन ) 30 से ज्यादा ( बहुत अधिक वजन ) । आप अगर अधिक वजन या अधिक वजन की श्रेणी में आते है तो आपको वजन कम करने की जरुरत है । वजन बड़ने के कारणों में खान पान  प्रमुख कारण है ,अधिक तला हुआ ,फ़ास्ट फ़ूड,घी,कोल्ड ड्रिंक्स अदि से हमारे शरीर में जरुरत से ज्यादा कैलोरीज इकठा होती है , और शारीरिक श्रम कम होने के कारण हम इनका उपयोग नहीं कर पते,और अगर हम अपनी दिनचर्या में ज्यादा हाथ पैर नहीं हलने  तो वजन बढेगा ही ।

जो लोग ऑफिस या घर पर कुर्सी पर बैठकर ही सारे कम काम करते हैं उन्हें तो जरुर कोई न कोई व्यायाम जरूर करना चाहिए , आप लिफ्ट की जगह सीडिओं से जाएँ ,अपनी दिलचस्पी का कोई खेल खेलें जेसे बेडमिनटन, टेबल टेनिस अथवा ट्रेडमिल या साइकिल जरुर चलाएँ या 30 से 40 मिनट सैर जरुर करें । कई बार थाइरोइड की गड्बडी दे भी वजन बढता है । कुछ सावधानिओं एवं तरीकों से आप अपना वजन कम कर सकते हैं जेसे अपने आप पर यकीन रखें । बड़ा हुआ वजन दिनों में तो बड़ा नहीं इसी लिए वजन कम करने में आपको समय तो लगेगा ही,कई बार पहले हफ्ते में वजन कम नहीं होता इससे निशाश न हों बल्कि डटे रहें , वजन कम करने मैं आपको सबर जरुर रखना है. आप जेसे दिखना चाहते हैं अपने आपको उस रूप में सोचने से वजन कम करने में मदत मिलती है । रूम में , फ़ोन पर या कंप्यूटर पर एसी तस्वीर लगाएँ जेसे आप दिखना चाहते हैं , हर रोज देखने से आप में सकारात्मकता आएगी ।

नाश्ते में तरल चीजे जेसे जूस , दूध अदि लें और बाकि पूरे दिन सिर्फ तरल रूप में पानी ही लें,इससे अप्प काफी कैलोरीज नहीं ले पाएँगे । आप जो भी खाएं उसे एक छोटी सी डायरी में लिखें इससे भी अप 15% कम कैलोरीज लेंगे । कुछ इलेक्ट्रॉनिक देविसस जेसे पैडोमीटर आपके कदम गिनकर आपको बताता रहेगा रोजाना 1000 से 2000 कदम चलें । दिन में तीन बार खाने की बजाए 5 या 6 बार थोड़ा थोड़ा खाएं इससे आप 30% कम कैलोरीज लेंगे और आपके शरीर में कम इन्सुलिन रिलीज होती है और ब्लड शुगर कम रिलीज होती है और भूख भी कम लगती है ।

नीले रंग की प्लेट युस करें , टेबल पर नीले रंग का टेबल क्लॉथ डालें इससे भूख कम लगती है इसके विपरीत लाल,पीले,संत्री रंग से भूख बढती है । वजन कम होने पर पुराने कपडे दान करें इससे आपको एक तो संतुष्टि होगी और वजन बड़ने पर आपको उतने ही कपडे फिरसे खरीदने होंगे । शीशे के सामने बैठकर खाना खाएं जिससे अप अपना मोटा शारीर देखकर कम खाना खाने को प्रेरित होंगे । खाने के लिए शोटी  प्लेट का उपयोग करें ,चाये एवं कॉफ़ी भी छोटे कप में पिएँ । जिन खाध्य पदार्थों में अधिक पानी होता है उन्हें ज्यादा खाएं जेसे टमाटर ,लोकी,खीरा अदि. धीरे धीरे खाने से आपका दिमाग पेट भर जाने का सिगनल पहले ही दे देगा और आप कम खाएँगे । चाये या कॉफ़ी में कम फैट वाला दूध डालें ।

90% खाना आप घर का ही खाएं,बहार के खाने में कैलोरीज एवं फैट की मात्रा ज्यादा होती है । खाएं तभी जब आपको सच में भूख लगी हो , कई बार हम युहीं खाने लगते हैं ,बिना भूख के ही कुछ लोग बोर होकर या नर्वस होकर भी खाने लगते हैं , यदि आप कोई स्पेसिफिक खाने  की चीज ढूंड रहें तो यह भूख नहीं बल्कि आप स्वाद बदलना चाहते हैं ,असल में भूख लगने पर आपको कुछ भी खाने को मिलेगा आप खाना पसंद करेंगे .जूस पीने की बजाए आप फल खाएं तो आपको कम भूख लगेगी । हफ्ते मैं एक दिन कोई भरी काम करें अपनी कार धोएं या घर की सफाई करें । डांस करने से भी काफी कैलोरीज बर्न होती हैं ,हफ्ते मैं 3 बार जरूर डांस करें ।

रोज सुबह गुनगुने पानी में शहद एवं निम्बू लें । दुपहर में खाने से पहले 3 गिलास पानी पिएँ इससे भूख कम लगेगी । धनिए को बारीक़ काटकर एक निम्बू का रस डालें आधा गिलास पानी मिलाकर मिक्सर में मिक्स करके पाएँ । अजवायन का पानी सुभह खाली पेट पिएँ मेटाबोलिज्म तेज होता है . ग्रीन टी या ग्रीन कॉफ़ी जरूर पिएँ । एप्पल साइडर विनेगर से भी लें । रात को 1 गिलास पानी में एक चम्मच जीरा भिगो दें, सुबह खाली पेट जीरा चबाकर खाएं एवं पानी को गरम कर आधा निम्बू डालकर पिएँ,वजन कम करने के लिए आयुर्वेद में बहुत अछी जड़ी बुटीयां हैं जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट से असरदार सिद्ध होती है । अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें ।

माइग्रेन से मुक्ति पाएं आयुर्वेद अपनाएं ।

आजकल हम सभ की जिंदगी बहुत व्यस्त हो गई है । कई लोगों के पास तो आराम से बेठ कर खाना खाने तक का टाइम नहीं होता । लोग मशीन की तरह काम कर रहें हैं , जिससे उनकी जिंदगी में तनाव और अनिद्रा बनी रहती है । माता पिता अपने बचों को पूरा समय नहीं दे पाते जिससे उनको अकेलापन महसूस होता है और वेह अपनी भावनाओं को दबा कर रखते हैं । लोग कोम्पुटर और मोबाइल पर सारा दिन लगे रहते हैं जिससे माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है । यह बीमारी पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में देखि जाती है , अधिकतर महिलाऐं इससे पीड़ित होती हैं । माइग्रेन की बीमारी दिनों दिन बढती जा रही है । वात वर्धक आहार का अधिक सेवन करने जेसे चावल,राजमह,उड़द की दाल,आलू , मटर ,सफ़ेद चने,कड़ी,लस्सी अदि से माइग्रेन होता है । ज्यादा देर तक भूखे रहने से भी हो सकता है ।

माइग्रेन के लक्षण :

# सर में दर्द रहता है यह दर्द पूरे सर में या आधे सर में हो सकता है

# कभी कभी बहुत तेज दर्द होता है या कभी हल्का दर्द होता है ।

# उलटी आने का मन होना या कई बार उलटी अ जाती है ।

# कई रोगीओं को उलटी आने के बाद थोरा दर्द में आराम मिलता है ।

# माइग्रेन का दर्द कुछ दिन से लेकर कई महीनों तक रह सकता है ।

# माइग्रेन में धयान केन्द्रित नहीं रह पाता ।

# भूख कम लगती है ।

# सोचने की शक्ति कम हो जाती है ।

# यादाश्त कमजोर हो सकती है ।

माइग्रेन में सलाह :

# पर्याप्त मात्र में एवं समय पर भोजन करें ।

# रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें ।

# पदमासन 30 मिनट करें ।

# बादाम का सेवन जरुर करें रोजाना १० बादाम खाएं इससे ब्रेन को ताकत मिलती है ।

# काफी में कैफीन होता है जिससे दर्द में में राहत मिलती है ।

# रोजाना २ सेब खाएं ।

# भरपूर नींद लें ।

# रोजाना नाक में २-२ बूँद गाये का घी डालें ।

# कम आवाज में धार्मिक संगीत सुने ।

# लहसुन , अदराक एवं हींग का सेवन ज़रूर करें इससे अधिक हुआ वात शांत होगा और दर्द कम होगा ।

# शिरोधारा एक आयुर्वेदिक पद्धति है जिससे लगातार करवाने से माइग्रेन बिलकुल ठीक हो जाता है और ढ़ां केन्द्रित करने में भी यह बहुत उपयोगी है ।

माइग्रेन को नजरंदाज नहीं करना चाहिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें । अधिक पैन किलर्स न लें क्यूंकि पैन किलर्स खाने से लीवर और गुर्दों पे बहुत बुरा असर पड़ता है ।

 

Joints pain ( जोड़ो का दर्द ) आयुर्वेदिक उपाए

आजकल जोड़ो का दर्द एक महामारी की तहर समाज में फेलता जा रहा है , आजकल तो युवायों को भी जोड़ो की समस्सया होने लगी है . सर्दिओं में ये अधिक तंग करता है . जोड़ों के दर्द की कई वजहें हैं जिनमे आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकार , अधिक जोर से पैदा हुआ खिचाव , मोच , चोट अदि . हमारे शारीर मैं काफी सर्रे जोड़ हैं दर्द ज्यादातर घुटनों में , कंधे में,कुल्हे में दर्द के रोगी ज्यादा देखें जाते हैं . शहरों में रहने वाले अस्सी प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी देखि गई है जो दर्द का एक मुख्य कारण है . पेछले बीस सालों में 30 से 50 के आयु वर्ग में अस्टियोआर्थरिटिस तेजी से बड़ रहा है . बड़ी संख्या में लोग मुस्कुलोस्केल्टल डिसऑर्डर से ग्रस्त है जिसे वातरोग भी कहा जाता है .

क्यों होता है जोड़ो का दर्द :

हमारे शारीर में काफी तरह के जोड़ है जब जोड़ों में कार्टिलेज घिस जाते हैं तो हड्डिया आपस में घिसने लगती हैं जिससे सोजिश हो जाती है और दर्द होता है . अधिक वात वर्धक आहार के सेवन से जेसे चावल ,राजमह,उड़द की दाल,आलू ,मटर,गोभी,सफ़ेद चने ,कड़ी,लस्सी अदि से भी वात बड़ने से जोड़ों में दर्द होने लगता है . जायदा देर बेठे रहने से , व्यायाम न करने से , मोटापा होने से, कैल्सियम की कमी से, विटामिन डी की कमी से . फ़ास्ट फ़ूड या अनियमित भोजन से शारीर में आम बनता है जो एक प्रकार का टॉक्सिक मेतिरिअल होता है यह शारीर में घूमता रहता है और कमजोर जोड़ में जाकर वात के साथ मिल के रोग को बनता है . शारीर में यूरिक एसिड की अधिकता से भी जोड़ो का दर्द हो सकता है .आयुर्वेद के अनुसार हड्डी और जोड़ों में संतुलित वायु का निवास होता है।

वायु के असंतुलन से जोड़ भी प्रभावित होते हैं। अतः वायु गड़बड़ा जाने से जोड़ों की रचना में विकृति पैदा होती है। हड्डियों के बीच का जोड़ एक झिल्ली से बनी थैली में रहता है जिसे सायोवियल कोष या आर्टीक्युलेट कोष कहते हैं। जोड़ों की छोटी-छोटी रचनाएं इसी कोष में रहती हैं। हड्डियों के बीच घर्षण न हो, इसलिए जोड़ों में हड्डियों के किनारे लचीले और नर्म होते हैं। यहां पर एक प्रकार की नर्म हड्डियां रहती हैं जिन्हें कार्टीलेज या आर्टीक्युलेट कहते हैं जो हड्डियों को रगड़ खाने से बचाती है। पूरे जोड़ की घेरे हुए एक पतली झिल्ली होती है, जिसके कारण जोड़ की बनावट ठीक रहती है। इस झिल्ली से पारदर्शी, चिकना तरल पदार्थ उत्पन्न होता है जिसे सायनोवियल तरल कहते हें। संपूर्ण सायनोवियल कोष में यह तरल भरा रहता है। किसी भी बाह्य चोट से जोड़ को बचाने का काम यह तरल करता है।

इस तरल के रहते जोड अपना काम ठीक ढंग से करता है। जोड़ों के दर्द का एक कारण शरीर में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड का होना माना गया है। जब गुर्दो द्वारा यह कम मात्रा में विसर्जित होता है या मूत्र त्यागने की क्षमता कम हो जाती है तो मोनो सोडियम वाइयूरेट क्रिस्टल जोड़ों के उत्तकों में जमा होकर तेज उत्तेजना एवं प्रदाह उत्पन्न करने लगता है। तब प्रभावित भाग में रक्त-संचार असहनीय दर्द पैदा कर देता है। जोड़ों के दर्द में  रोगियों का वजन अकसर ज्यादा होता है और वे देखने में स्वस्थ एवं प्रायः मांसाहारी और खाने-पीने के शौकीन होते हैं। भारी और तैलीय भोजन, मांस, घी और तेज मसाले, शारीरिक एवं मानसिक कार्य न करना, क्रोध, चिंता, शराब का सेवन, पुरानी कब्ज आदि कारणों से जोड़ो में मानो सोडियम बाइयूरेट जमा होने से असहनीय पीड़ा होती है जिससे मानव गठिया रोग से पीड़ित होता है।

जोड़ो के दर्द से आराम के लिए घरेलु उपाए 

# जोड़ का दर्द पैरों के घुटनों, गुहनियों, गदर्न, बाजुओं और कूल्‍हों में हो सकता है। व्‍यायाम के अलावा आपका खान-पान पौष्टिक और हेल्‍दी        होना चाहिये, जो जोड़ के दर्द को कम करे .

# रोजाना 15 गिरी अखरोट की रात को भिगो दें और और सुबह खली पेट रोजाना खाएं .

# कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से बदन के जोड़ों के दर्द में आराम होता है।

# काले तिल और पुराने गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर खाएं। ऊपर से बकरी का दूध पीएं ।

# बड़ी इलायची तेजपात, दालचीनी, शतावर, गंगेरन, पुनर्नवा, असगंध, पीपर, रास्ना, सोंठ, गोखरू इन सबको गिलोय के रस में घोटकर गोली       बनाकर, बकरी के दूध के साथ दो-दो गोली सुबह सबेरे खाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।

# मजीठ हरड़, बहेड़ा, आंवला, कुटकी, बच, नीम की छाल, दारू हल्दी, गिलोय, का काढ़ा पीएं।

# लहसुन को दूध में उबालकर, खीर बनाकर खाने से गठिया रोग में आराम होता है।

# शहद में अदरक का रस मिला कर पीने से जोड़ों के दर्द में आराम होता है।

# सौठ, अखरोट और काले तिल एक, दो, चार के अनुपात में पीस कर सुबह-शाम गरम पानी से दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में सेवन करने से       जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

# जोड़ों के दर्द के रोगी को भोजन से पहले आलू का रस दो-तीन चम्मच पीने से लाभ होता है। इससे यूरिक एसिड की मात्रा कम होने लगती         है।

# जोड़ों के दर्द के रोगी को चुकंदर और सेव का सेवन करते रहना चाहिए। इससे यूरिक अम्ल की मात्रा नियंत्रण में रहती है।

# सौंठ और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर रोगी को सुबह-शाम चाय की तरह सेवन करना चाहिए।

# अश्वगंधा चूर्ण तीन ग्राम एक गिलास दूध में उबालकर पियें। कुछ दिनों तक लगातार यह प्रयोग करने से लाभ होता है।

#लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें। पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से दर्द में लाभ       होता है।

# 250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर         पकायें। पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।

# नागकेसर के तेल से मालिश करने से आराम होता है।

# प्याज को सरसों के तेल में पका लें। इस तेल से मालिश करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

# मेंहदी के पत्तो को पीसकर जोड़ों पर बांधने से आराम होता है।

# इस रोग का उपचार करने में तुलसी बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में वात विकार को मिटाने का प्राकृतिक गुण होता है।           तुलसी का तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है।

# ज्यादा तकलीफ होने पर नमक मिले गरम पानी का टकोर व हल्के गुनगुने सरसों के तेल की मालिश करें।

# मोटापे पर नियंत्रण रखें। नियमित सूक्ष्म व्यायाम व योगाभ्यास करें।

# भोजन में खट्टे फलों का प्रयोग न करें।

#बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रात: खाली      पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

# जोड़ों के दर्द के समय या बाद में गर्म पानी के टब में कसरत करें या गर्म पानी के शॉवर के नीचे बैठें। आपको निश्चित ही राहत मिलेगी।

# दर्द घटाने के बाम, क्रीम आदि बार-बार इस्तेमाल न करें। इनके द्वारा पैदा हुई गर्मी से राहत तो मिलती है, पर धीरे-धीरे ये नुकसान पहुंचाते       हैं।

# जोड़ों के दर्द के लिए चमत्कारिक दवा, तेल या मालिश वगैरह के दावे बहुत किए जाते हैं। इनको इस्तेमाल करने से पहले एक बार परख लें।

# एरंडी के तेल को गर्म करो और उसमे लहसुन की कलियाँ जला दो । ये तेल लगाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है

# 2 ग्राम दालचीनी पावडर और एक चम्मच शहद, एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से तुरंत असर होता है।

रोग ठीक न होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें ,आयुर्वेद में जानू वस्ति एवं दवाओं से जोड़ो क दर्द के इलाज में बहुत फायदा होता है

चर्म रोग दूर करने के आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय

चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं जैसे दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि

चर्म रोग होने के कई कारण हो सकते हैं:

अधिकतर समय धूप में बिताना ,किसी एंटीबायोटिक दवा के खाने से साइड एफेट्स होने पर , महिलाओं में मासिक चक्र अनियमितता की समस्या हो जाने पर ,शरीर में ज़्यादा गैस जमा होने से खुश्की का रोग हो सकता है, अधिक कसे हुए कपड़े पहेनने पर और नाइलोन के वस्त्र पहनने पर भी चमड़ी के विकार ग्रस्त होने का खतरा होता है, नहाने के साबुन में अधिक मात्रा में सोडा होने से , शरीर में खून की खराबी के कारण , गरम और तीखीं चिज़े खाने पर ,आहार ग्रहण करने के तुरंत बाद व्यायाम करने से , उल्टी, छींक, डकार, वाहर, पिशाब, और टट्टी इन सब आवेगों को रोकने से चर्म रोग होने का खतरा रहता है, शरीर पर लंबे समय तक धूल मिट्टी और पसीना जमें रहने से भी चर्म रोग हो सकता है ,और भोजन के बाद विपरीत प्रकृति का भोजन खाने से कोढ़ का रोग होता है। (उदाहरण – आम का रस और छाछ साथ पीना)।

त्वचा रोग के लक्षण

दाद-खाज होने पर चमड़ी एकदम सूख जाती है, और उस जगह पर खुजलाने पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं। समान्यतः किसी भी प्रकार के चर्म रोग में जलन, खुजली और दर्द होने की फरियाद रहती है। शरीर में तेजा गरमी इकट्ठा होने पर चमड़ी पर सफ़ेद या भूरे दाग दिखने लगते हैं या फोड़े और फुंसी निकल आते हैं और समय पर इसका उपचार ना होने पर इनमें पीप भी निकलनें लगता है।

त्वचा रोग होने पर भोजन में परहेज़ :

त्वचा रोग होने पर बीड़ी, सिगरेट, शराब, बीयर, खैनी, चाय, कॉफी, भांग, गांजा या अन्य किसी भी दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें, बाजरे और ज्वार की रोटी बिलकुल ना खाएं , शरीर की शुद्धता का खास खयाल रक्खे, समय पर सोना, समय पर उठना, रोज़ नहाना, और धूप की सीधी किरणों के संपर्क से दूर रहना आवश्यक है। भोजन में अचार, नींबू, नमक, मिर्च, टमाटर तैली वस्तुएं, आदि चीज़ों का सेवन बंद कर देना चाहिए। चर्म रोग में कोई भी खट्टी चीज़ खाने से रोग तेज़ी से पूरे शरीर में फ़ेल जाता है।

अगर खाना पचने में परेशानी रहती हों, या पेट में गैस जमा होती हों तो उसका उपचार तुरंत करना चाहिए। और जब यह परेशानी ठीक हो जाए तब कुछ दिनों तक हल्का भोजन खाएं ।

खराब पाचनतत्र वाले व्यक्ति को चर्म रोग होने के अधिक चान्सेस  होते हैं।

त्वचा की किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को हररोज़ रात को सोने से पूर्व एक गिलास हल्के गुनगुने गरम दूध में, एक चम्मच हल्दी मिला कर दूध पीना चाहिए।

त्वचा रोग में आयुर्वेदिक व घरेलू उपचार  :

  • नहाते समय नीम के पत्तों को पानी के साथ गरम कर के, फिर उस पानी को नहाने के पानी के साथ मिला कर नहाने से चर्म रोग से मुक्ति मिलती है।
  • नीम की कोपलों (नए हरे पत्ते) को सुबह खाली पेट खाने से भी त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
  • त्वचा के घाव ठीक करने के लिए नीम के पत्तों का रस निकाल कर घाव पर लगा कर उस पर पट्टी बांध लेने से घाव मिट जाते हैं। (पट्टी समय समय पर बदलते रहना चाहिए)।
  • मूली के पत्तों का रस त्वचा पर लगाने से किसी भी प्रकार के त्वचा रोग में राहत हो जाती है।
  • प्रति दिन तिल और मूली खाने से त्वचा के भीतर जमा हुआ पानी सूख जाता है, और सूजन खत्म खत्म हो जाती है।
  • मूली का गंधकीय तत्व त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  • मूली में क्लोरीन और सोडियम तत्व होते है, यह दोनों तत्व पेट में मल जमने नहीं देते हैं और इस कारण गैस या अपचा नहीं होता है।
  • मूली में मेग्नेशियम की मात्रा भी मौजूद होती है, यह तत्व पाचन क्रिया नियमन में सहायक होता है। जब पेट साफ होगा तो चमड़ी के रोग होने की नौबत ही नहीं होगी।
  • हर रोज़ मूली खाने से चहरे पर हुए दाग, धब्बे, झाईयां, और मुहासे ठीक हो जाते हैं।
  •  सेब के रस को लगाने से उसमें राहत मिलती है। प्रति दिन एक या दो सेब खाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। त्वचा का तैलीयपन दूर करने के लिए एक सेब को अच्छी तरह से पीस कर उसका लेप पूरे चहरे पर लगा कर दस मिनट के बाद चहरे को हल्के गरम पानी से धो लेने पर “तैलीय त्वचा” की परेशानी से मुक्ति मिलती है।
  • खाज और खुजली की समस्या में ताज़ा सुबह का गौमूत्र त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है।
  • जहां भी फोड़े और फुंसी हुए हों, वहाँ पर लहसुन का रस लगाने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • लहसुन और सूरजमुखी को एक साथ पीस कर पोटली बना कर गले की गांठ पर (कण्ठमाला की गील्टियों पर) बांध देने से लाभ मिलता है।
  • सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलीयों को डाल कर उसे गर्म कर के, (हल्का गर्म) उसे त्वचा पर लगाया जाए तो खुजली और खाज की समस्या दूर हो जाती है।
  • सूखी चमड़ी की शिकायत रहती हों तो सरसों के तैल में हल्दी मिश्रित कर के उससे त्वचा पर हल्की मालिश करने से त्वचा का सूखापन दूर हो जाता है।
  • हल्दी को पीस कर तिल के तैल में मिला कर उससे शरीर पर मालिश करने से चर्म रोग जड़ से खत्म होते हैं।
  • चेहरे के काले दाग और धब्बे दूर करने के लिए हल्दी की गांठों को शुद्ध जल में घिस कर, उस के लेप को, चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
  • करेले के फल का रस पीने से शरीर का खून शुद्ध होता है। दिन में सुबह के समय बिना कुछ खाये खाली पेट एक ग्राम का चौथा भाग “करेले के फल का रस” पीने से त्वचा रोग दूर होते हैं।
  • दाद, खाज और खुजली जैसे रोग, दूर करने के लिए त्वचा पर करेले का रस लगाना चाहिए।
  • रुई के फाये से गाजर का रस थोड़ा  कर के चहेरे और गरदन पर लगा कर उसके सूखने के बाद ठंडे पानी से चहेरे को धो लेने से त्वचा  साफ और चमकीली बन जाती है।
  • प्रति दिन सुबह एक कप गाजर का रस पीने से हर प्रकार के त्वचा रोग दूर होते हैं। सर्दियों में त्वचा सूखने की समस्या कई लोगों को होती है, गाजर में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है, इस लिए रोज़ गाजर खाने से त्वचा का सूखापन दूर होता है।
  • पालक और गाजर का रस समान मात्रा में मिला कर उसमें दो चम्मच शहद  मिला कर पीने से, सभी प्रकार के चर्म रोग नाश होते हैं।
  • गाजर का रस संक्रमण दूर करने वाला और किटाणु नाशक होता है, गाजर खून को भी साफ करता है, इस लिए रोज़ गाजर खाने वाले व्यक्ति को फोड़े फुंसी, मुहासे और अन्य चर्म रोग नहीं होते हैं।
  • काली मिट्टी में थोड़ा सा शहद मिला कर फोड़े और फुंसी वाली जगह पर लगाया जाए तो तुरंत राहत हो जाती है।
  • फुंसी पर असली (भेग रहित) शहद लगाने से फौरन राहत हो जाती है।
  • शहद में पानी मिला कर पीने से फोड़े, फुंसी, और हल्के दाग दूर हो जाते हैं।
  • सेंधा नमक, दूध, हरड़, चकबड़ और वन तुलसी को समान मात्रा में ले कर, कांजी के साथ मिला कर पीस लें। तैयार किए हुए इस चूर्ण को दाद, खाज और खुजली वाली जगहों पर लगा लेने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • हरड़ और चकबड़ को कांजी के साथ कूट कर, तैयार किए हुए लेप को दाद पर लगाने से दाद फौरन मीट जाता है।
  • पीपल की छाल का चूर्ण लगा नें पर मवाद निकलने वाला फोड़ा ठीक हो जाता है। चार से पाँच पीपल की कोपलों को नित्य सुबह में खाने से एक्ज़िमा रोग दूर हो जाता है। (यह प्रयोग सात दिन तक लगातार करना चाहिए)।
  • नीम की छाल, सहजन की छाल, पुरानी खल, पीपल, हरड़ और सरसों को समान मात्रा में मिला कर उन्हे पीस कर उसका चूर्ण बना लें। और फिर इस चूर्ण को गौमूत्र में मिश्रित कर के त्वचा पर लगाने से समस्त प्रकार के जटिल त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
  • अरण्डी, सौंठ, रास्ना, बालछड़, देवदारु, और बिजौरे की छड़ इन सभी को बीस-बीस ग्राम ले कर एक साथ पीस लें। उसके बाद इन्हे पानी में मिला कर लेप तैयार कर लें और फिर उस लेप को त्वचा पर लगा लें। इस प्रयोग से समस्त प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
  • खीरा खाने से चमड़ी के रोग में राहत मिलती है। ककड़ी के रस को चमड़ी पर लगाने से त्वचा से मैल दूर होता है, और चेहरा चमकता  है। ककड़ी का रस पीने से भी शरीर को लाभ होता है।
  • प्याज को आग में भून कर फोड़ों और फुंसियों और गाठों पर बांध देने से वह तुरंत फुट जाती हैं। अगर उनमें मवाद भरा हों तो वह भी बाहर आ निकलता है। हर प्रकार की जलन, सूजन और दर्द इस प्रयोग से ठीक हो जाता है। इस प्रयोग से इन्फेक्शन का जख्म भी ठीक हो जाता है। प्याच को कच्चा या पक्का खाने से त्वचा में निखार आता है।
  • प्रति दिन प्याज खाने वाले व्यक्ति को लू कभी नहीं लगती है।
  • पोदीने और हल्दी का रस समान मात्रा में मिश्रित कर के दाद खाज खुजली वाली जगहों पर लगाया जाए तो फौरन राहत मिल जाती है।
  • पिसा हुआ पोदीना लेप बना कर चहेरे पर लगाया जाए और फिर थोड़ी देर के बाद चहेरे को ठंडे पानी से धो लिया जाए तो चहेरे की गरमी दूर हो जाती है, तथा स्किन चमकदार बनती है।
  • अजवायन को पानी में उबाल कर जख्म धोने से उसमे आराम मिल जाता है।
  • गर्म पानी में पिसे हुए अजवायन मिला कर, उसका लेप दाद, खाज, खुजली, और फुंसी पर लगाने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • नमक मिले गर्म पानी से त्वचा को धोने या सेक करने से हाथ-पैर और ऐडियों की दरारें दूर होती हैं और दर्द में फौरन आराम मिल जाता है।
  • गरम पानी में नमक मिला कर नहाने से सर्दी के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों के सामने रक्षण मिलता है। और अगर रोग हो गए हों तो इस प्रयोग के करने से रोग समाप्त हो जाते हैं।

अधिक जानकारी के लिए या इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें .

डायबिटीज लक्षण एवं उपाए

आज के समे में डायबिटीज होना बहुत आम बात है , बड़े ही नहीं बलके  बच्चे   इसकी लपेट में आ चुके हे । यह तो हम सब जानते हैं की अपने शारीर की पेन्क्रिआस  ग्रंथि के ठीक न होने से यह बीमारी हो जाती है  । पेन्क्रिअस ग्रंथि से तरह तरह के होर्मोनेस निकलते है  इन्सुलिन भी इसी से निकलते है । शारीर के लिए इन्सुलिन बहुत उपयोगी है । हमारे रक्त में इन्सुलिन के जरिए हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है ।

डायबिटीस के लक्षण :

डायबिटीज होने पे आदमी को बिना काम के थकान ।

पेश्हाब का बार बार आना ।

भूख प्यास ज्यादा लगना ।

घाव होने पर जल्दी ठीक न होना ।

बार बार त्वचा पर इन्फेक्शन होना ।

घरेलु उपाए :

जामुन 4 से 5 मुलायम पत्ते 50 मल पानी के साथ पीस लें और सुबह खली पेट ले. 20 से 15 दिन रोजाना एसा करें . बीच बीच में सुगर चेक करते रहें ।

जामुन की सूखी हुई गुथालिया 50 ग्राम , सोंठ 30 ग्राम , गुर्मार बूटी 100 ग्राम इन सबको बारीक पीस लें अलोएवेरा के रस में मिलाकर 2 ग्राम को गोलियां बना ले ।

एक बड़े करेले को 100 ग्राम लौकी के साथ मिक्स करके रस निकाल कर पिएँ  ।

300 ml उबलते हुए पानी में 60 ग्राम पके हुए जामुन मिलाकर रखदें . 120 ml 3 बार पिएँ ।

जामुन की सुखी हुई गुठलिया 200 ग्राम , इसमें 20 ग्राम कला नमक मिलकर पीस ले  इसे सुभे शाम लें ।

5 ग्राम मेथी दाने को एक कप में भिगो दे सुबह खली पेक इन्हें चबा कर खाएं  ।

तेज पत्ते को पीस ले और 5 ग्ग्राम चूरण रोजाना खाएं ।

कलोंजी के बीज आधा चम्मच सुभह शाम खाएं ।

घरेलु उपयेओं के साथ साथ डॉक्टरी सलाह जरूर लें और अपनी शुगर की जांच करवाते रहें .

बवासीर कारण एवं आयुर्वेदिक उपाए ।

बवासीर से आजकल कई लोग पीड़ित हैं , आज कल की भाग दोड़ भरी जिंदगी में खान पान  की दशा सही न होना बवासीर का प्रमुख कारण है । आयुर्वेद में इसे अर्श रोग कहते है । बवासीर दो तरह की होती है खूनी एवं बादी । बवासीर में गुदा के आस पास के हिस्से में सुजन आ जाती है  , मस्से से बन जाते हैं , जोकि अन्दर एवं बहार दोनों तरफ हो सकते हैं । लगातार कब्ज रहने के कारण भी बवासीर हो सकती है । बहुत देर तक बेठे रहने से भी समस्सया हो सकती है । बहुत मसालेदार एवं तली हुई चीज़े खाने से ,कम पानी पिने से अदि कारणों से बवासीर हो सकती है ।

बवासीर के लक्षण :

जब मल त्याग करते हैं तब बवासीर का दर्द असेहनिए होता है ।

मल त्याग करते समय जोर लगाने से ब्लड का बहना ।

बवासीर के उपाए :

  • रेशेदार चीजों को नियमित खाएं , इन्हें दैनिक भोजन का अवश्यक अंग बनायें ।
  • रोज़ाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएँ ।
  • टब में गर्म पानी लेकर उसमे बेठें इससे भी काफी आराम मिलेगा ।
  • ठंडी सिकाई से भी आराम मिलता है 5 से 6 बर्फ के टुकड़ो को कपड़े में रखकर सिकाई करें इससे ब्लड का बहना कम होगा ।
  • दो लिटर लस्सी में 50 ग्राम जीरा को पीसकर कला नमक मिलाकर रोजाना पिएँ ।
  • 100 ग्राम किशमिश पानी में फूलने के लिए छोड़ दें सुबह मसलकर उसे खाएं इससे भी बहुत लाभ मिलेगा ।
  • निम्बू का रस अदरक और थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करें इससे दर्द कम होगा ।
  • जेतून का तेल गुदा मार्ग में लगाने से भी आराम मिलता है ।
  • आम एवं जामुन के बीजों को सुखाकर चूर्ण बना कर सुभह पानी के साथ लें ।
  • आयुर्वेदिक दवा से भी बवासीर का इलाज किआ जाता है एवं रोग जड़ से ठीक हो जाता है, इसलिए  आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें ।

ECZEMA AYURVEDIC VIEW & REMEDIES

In Eczema skin rashes appears  that have redness, dryness,  swelling, itching, and flaking. The skin itches and results in a rash when scratched.This disease is known as Vicharchika in ayurveda. When the immune system becomes unbalanced then It occurs.  And  is often associated with other allergic conditions like  hay fever and  allergic asthma, etc. Genetic factors, climate, debility,  and psychological factors can also aggravate the condition.

Causes of Eczema

Excessive consumption of foods that are dry, cold, stale,  salty, sour, spicy,  fermented or fried, late night working, regular late night meal, excessive physical, mental, and sexual activities. Stress can also be responsible in cause of  eczema. Excessive intake of tea, coffee , alcoholic beverages, aerated drinks, indigestion, constipation, acidity,  flatulence too can lead to eczema.

Symptoms of eczema

  • Redness on skin
  • Rough and thickened skin
  • Dry and flaky skin
  • Itching
  • Itchy blisters
  • Inflammation of skin

Ayurvedic View on Eczema

According to Ayurveda it is caused due to  faulty diet and lifestyle, which cause  impairment of digestion and aggravation of Pitta Dosha which is Ayurvedic humor representing  the Fire. Pitta  causes accumulation of heating toxins known as ama and manifests in the skin. These toxins accumulate in body  tissues where these  contaminate at a deep level and cause Eczema. Use of local creams, antibiotics and steroids only relieve  the symptoms but they do not affect the root cause of this disease andbecause of this  problem mostly  reappears.Individualized treatment plan for patients is recommended in ayurved which  includes  proper diet and specialized herbal combinations of medicines.  Pitta is pacified  by enhancing the body’s digestion, and cleansing the body from accumulated toxins.

What one should do for relief :

  • Avoid spicy or oily food also  hot and  humid atmosphere.
  • One should wear loose, cotton clothes and avoid synthetic fibers because they inhibit perspiration.
  • Avoid soap and use mild herbal soap for bathing.
  • Use a soft and smooth towel and avoid rubbing the skin.
  • Avoid hot spices, tea, coffee,and preserved and canned foods.
  • Practice Bhujangasan and Agnisaar Pranayam to enhance your body’s immunity.

Home Remedies to get  relief :

  • Prepare a decoction by boiling 25-35 margosa (neem) leaves in about 5-6 cups of water for 20 minutes. Let it cool and use this water to wash the affected area.
  • Mix 1 teaspoon licorice root powder with a small amount of sesame oil. Warm this in a pan and then apply to the affected part. Wrap a bandage over it and leave for 3-4 hours. Repeat twice a day.
  • Boil 30 grams of Indian gum tree (babul) bark and 30 grams of mango tree bark in 1 liter of water for 30 minutes. Use this water to make a hot compress (fomentation) on the affected part. After fomentation for about 15-20 minutes, clean the skin with dry cloth and apply purified butter as an ointment.

बाल झड़ने के कारण एवं उपाए

स्वस्थ बाल स्त्री एवं पुरूष दोनों की खूबसूरती में चार चाँद लगा देतें है । हर व्यक्ति की चाहत होती है उसके बाल लम्बे काले घने हो । औरत की बालो के बिना ख़ूबसूरती अधूरी होती है ।  पर कई बार बदलते रहन सहन की वजह से सेहत सबंधी कई समस्या उत्पन्न हो जाती है । जैसे बुखार खांसी जुकांम बालो का झरना गला खराब  होना आदि । बालो का झरना का झरना आम ही  देखा जा सकता है भारत में हर पांचवा इन्सान इससे पीड़ित है इससे ब्यक्ति तनाव में रहता है यह पुरुषो की अपेक्षा महिलाऐं कम पीड़ित है । जगह बदलने से भी बालो की समस्या आ जाती है । कई बार ठंडी जगह जाने से भी बालो की समस्या आ जाती है । कई बार पुरूष गंजेपन का शिकार हो जाते है बालो की वजह से इंसान दिखने में सुंदर नहीं लगता है ।

बालों के झड़ने के कारण

  • गरम चीजो का जरुरत से ज्यादा मात्रा में सेवन  करना  ।
  • बालो को बार बार रंग करना ।
  • थायराइड की बीमारी से पीड़ित होना ।
  • लीवर मे गर्मी का अधिक होना  ।
  • स्त्रियों में हार्मोन का बिगड़ना ।
  • बालों में भीन भिन सम्पू का इस्तेमाल करना ।
  • बालो को अधिक  गर्म पानी से धोना ।

बालो के झड़ने से रोकने के उपाय तथा लम्बे बाल पाने के उपाए

1  बालो  को हफ्ते में दो बार सम्पू का इस्तेमाल करे ।

2  मछली, देसी घी ,हरी सब्जी का इस्तेमाल करे इसमें विटामिन इ तथा मिनरल की भरपूर मात्रा में होती है ।

3  नारीयल के शुद्ध  तेल से बालो की मसाज करे इससे सिर मे खून  की गति तेज होती है ।

4  प्याज के रस को बालो मे लगने से बालो मे चमक आती है बाल बढ़ने मे सहायक होता है ।

5  बालो में शुद्ध एलोवेरा जेल से हफ्ते मे दो बार मसाज करे बाद मे गुनगुने पानी से धो ले ।

6  बालो के लिये भिऋगराज तेल बहुत उपयोगी होता है इस्तेमाल करने से बाल लम्बे तथा काले होते है

7  अशवगन्धा के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाये ।