बवासीर कारण एवं आयुर्वेदिक उपाए ।

बवासीर से आजकल कई लोग पीड़ित हैं , आज कल की भाग दोड़ भरी जिंदगी में खान पान  की दशा सही न होना बवासीर का प्रमुख कारण है । आयुर्वेद में इसे अर्श रोग कहते है । बवासीर दो तरह की होती है खूनी एवं बादी । बवासीर में गुदा के आस पास के हिस्से में सुजन आ जाती है  , मस्से से बन जाते हैं , जोकि अन्दर एवं बहार दोनों तरफ हो सकते हैं । लगातार कब्ज रहने के कारण भी बवासीर हो सकती है । बहुत देर तक बेठे रहने से भी समस्सया हो सकती है । बहुत मसालेदार एवं तली हुई चीज़े खाने से ,कम पानी पिने से अदि कारणों से बवासीर हो सकती है ।

बवासीर के लक्षण :

जब मल त्याग करते हैं तब बवासीर का दर्द असेहनिए होता है ।

मल त्याग करते समय जोर लगाने से ब्लड का बहना ।

बवासीर के उपाए :

  • रेशेदार चीजों को नियमित खाएं , इन्हें दैनिक भोजन का अवश्यक अंग बनायें ।
  • रोज़ाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएँ ।
  • टब में गर्म पानी लेकर उसमे बेठें इससे भी काफी आराम मिलेगा ।
  • ठंडी सिकाई से भी आराम मिलता है 5 से 6 बर्फ के टुकड़ो को कपड़े में रखकर सिकाई करें इससे ब्लड का बहना कम होगा ।
  • दो लिटर लस्सी में 50 ग्राम जीरा को पीसकर कला नमक मिलाकर रोजाना पिएँ ।
  • 100 ग्राम किशमिश पानी में फूलने के लिए छोड़ दें सुबह मसलकर उसे खाएं इससे भी बहुत लाभ मिलेगा ।
  • निम्बू का रस अदरक और थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करें इससे दर्द कम होगा ।
  • जेतून का तेल गुदा मार्ग में लगाने से भी आराम मिलता है ।
  • आम एवं जामुन के बीजों को सुखाकर चूर्ण बना कर सुभह पानी के साथ लें ।
  • आयुर्वेदिक दवा से भी बवासीर का इलाज किआ जाता है एवं रोग जड़ से ठीक हो जाता है, इसलिए  आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें ।