डेंगू के कारण एवं घरेलु उपाए

हर साल डेंगू के कारण दुनिया भर में हजारों लोग बीमार होते  हैं । डेंगू होने पर खून में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं , बुखार आता है । यह बीमारी एडीस नाकमक मच्छर के काटने से होता है । यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय काटता है । किसी रोगी के बाद जब मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वायरस उसके शरीर में चला जाता है और रोग का रूप ले लेता है । यह ज्यादातर ड्रम , टंकी , कूलर में पड़े पानी में मच्छर अंडे देता है । इस बीमारी में लोग घबराने लगते हैं लेकिन इसमें धैर्य की जरुरत है , डेंगू का इलाज घरेलु नुस्खे और डॉक्टरी सलाह से आराम से किआ जा सकता है ।
एलोपैथी में डेंगू के इलाज की कोई दावा नहीं होती । बुखार को तो रोका जा सकता है पर प्लेटलेट्स को काम होने से रोकने की कोई दावा नहीं होती । अधिक प्लेटलेट्स कम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़ते हैं या फिर खून चढ़ाना पड़ता है । बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स कम होने से रोगी की जान को भी खतरा हो सकता है ।
डेंगू के लक्षण :
शुरुआत में व्यक्ति को बुखार होता है ।
सर दर्द हो सकता है ।
भूख काम हो जाती है ।
जोड़ों में दर्द , शरीर दर्द ।
भूक कम हो जाती है ।
उलटी आने का मन होना या उलटी आनी ।
पेट में दर्द होना ।
डेंगू में घरेलु उपचार :
गिलोयः गिलोय का आयुर्वेद में बहुत महत्व है इससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है । इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सर्व किया जा सकता है । इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जा सकते हैं ।
मेथी के पत्तेः यह पत्तियां बुखार कम करने के लिए सहायक हैं. यह पीड़ित का दर्द दूर कर उसे आसानी से नींद में मदद करती हैं । इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर उसके पानी को पीया जा सकता है । इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं ।
पीपते के पत्तेः यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है. साथ ही ।  बॉडी में दर्द, कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है । इसकी पत्तियों को कूट कर खा सकते हैं या फिर इन्हें ड्रिंक की तरह भी पिया जा सकता है, जो कि बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करते हैं ।
गोल्डनसीलः यह नार्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है, जिसे दवाई बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है । इस हर्ब में डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है । यह पपीते की पत्तियों की तरह ही काम करती हैं और उन्हीं की तरह इन्हें भी यूज किया जाता है । इन्हें कूट के सीधे चबाकर या फिर जूस पीकर लाभ उठाया जा सकता है ।
हल्दीः यह मेटाबालिज्म बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है । यही नहीं, घाव को जल्दी ठीक करने में भी मददगार साबित होती है । हल्दी को दूध में मिलाकर पीया जा सकता है ।
तुलसी के पत्ते और काली मिर्चः तुलसी के पत्तों और दो ग्राम काली मिर्च को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है । यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है ।

Ayurvedic  treatment  for psoriasis

Psoriasis is a non-contagious  skin disease that causes rapid skin cell reproduction resulting in red, dry patches of thickened skin,  dry flakes and skin scales are thought to result from the rapid buildup of skin cells. Psoriasis commonly affects the skin of the elbows, knees, and scalp. . Heredity factor is also important , if a parent is suffering then there are 15% of chances that  problem can carry forward  and if both parents suffers than chances can be 50%.  Medicines which are mostly prescribed by dermatologists sometimes can cause side effects in treatment of psoriasis

Some major symptoms may include:
Loose silvery scales.

Itching or burning skin.

Raised pus-filled skin bumps.

Skin redness around pustules.

Restricted joint motion.

Emotional distress.

Skin pain and inflammation.

Skin blisters.

Dry skin patches.

Bleeding skin patches.

 

Every  person has a distinct energy pattern made of three types of energies. These energies are known as doshas, and include:

  • vata energy, which controls bodily functions.
  • pitta energy, which controls metabolic functions.
  • kapha energy, which controls growth in the body.

Ayurvedic  view on psoriasis:

According to Ayurveda, Psoriasis occurs due to imbalance of two doshas – Vata and Kapha . These both  manifest in the skin and cause accumulation of toxins, which accumulate in deep tissues like rasa (nutrient plasma), rakta (blood), mansa (muscles), and lasika (lymphatic). These toxins cause contamination of deeper tissues, and cause  Psoriasis.  Ayurveda is an ancient, holistic form of treatment. Originated in northern India ,  Ayurveda is based on the premise that good health depends on a healthy body, mind, and spirit. With ayurvedic  medicines we can manage your symptoms and if treated for few months one can overcome its symptoms.

Panchakarma is detox treatment and is used for treating psoriasis , treatments use plant-based remedies and dietary change.

The Panchakarma treatments include:

  • consuming medicated ghee, a form of clarified butter.
  • purging and vomiting.
  • dripping medicated buttermilk on a person’s head.
  • covering the entire body in a paste of medicines and mud.
  • medicated enemas.

 Ayurvedic herbal remedies may also be used to treat psoriasis:

  • black nightshade(makoi) juice to reduce inflammation .
  • garlic and onions to purify the blood.
  • jasmine flower paste to relieve itching and reduce inflammation.
  • guggal to reduce inflammation.
  • neem to boost the immune system and purify the blood.
  • turmeric to reduce inflammation, redness, and swelling.
  • boswellia  to reduce inflammation and support the immune system.

In autoimmune diseases like psoriasis to work on immune level is very important . In ayurvedic system of medicine we use best ayurvedic formulations for treating this disease .

आयुर्वेद के साथ दुबलापन दूर कर बने हेल्दी ।

पुरातन समें से ही घरेलु उपचारों से अनेको तरह के रोगों का हल किआ जाता रहा है । आजकल लोग वजन घटाने के लिए जी तोड़ उपाए कर रहें है वहीँ दूसरी तरफ जो लोग काफी दुबले है वह भी मस्कुलर दिखना चाहते हैं . ज्यदा दुबला लड़का या लड़की समाज में असुरक्षित सा महसूस करते हैं । अधिक दुबले को काफी लोग पसंद भी नहीं करते , इस लिए शारीर का स्वस्थ होना बहुत जरुरी है । स्वस्थ शारीर में स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है । कई तो दवाओं का भी इस्तिमाल करते है वजन बड़ता भी है पर दवाई बंद करने पर वजन पहले से भी कम हो जाता है क्यूंकि इन दवाओं में स्तेरोइड्स हो सकते हैं जोकि हमारे शारीर के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं ।

दुबले होने का कारण :

  • पाचन क्रिया का ठीक न होना ।
  • मेटाबोलिज्म तेज होना ।
  • बीमार रहने से भी कुछ लोग दुबले हो जाते हैं ।
  • समय पर खाना न खाना ।
  • ज्यादा समय तक काम करते रहना ।
  •  पर्याप्त नींद न लेना ।
  • खाने में पोष्टिक पदार्थों की कमी ।
  • व्यायाम न करना ।
  • कम पानी पीना ।

दुबलेपन को दूर करने के उपाए :

  • दुबलेपन को दूर करने के लिए हमे पोष्टिक आहार पर्याप्त मात्र में लेना चाहिए , रोजाना 500 ग्राम कैलोरीज का अतिरिक्त सेवन करना चाहिए ।
  • रोजाना दही में केला मिक्स करके खाएं ।
  • रोजाना 2 अंडे खाएं . और अगर व्यायाम बी करते हैं तो 4 अंडे खाने चाहिए. अण्डों में प्रोटीन काफी होता है ।
  • आलू में कार्बोहैद्रट्स होते है , आलू के चिप्स बनाकर खाएं ।
  • रोजाना 6 बादाम खाएं ।
  • महीने में दो बार आयुर्वेदिक मालिश कराएं इससे रक्त संचार ठीक रहता है ।
  • देसी घी , दूध ,दही एवं पनीर अधिक मात्रा में लें ।
  • दालें एवं हरी सब्जी खूब खाएं ।
  • हफ्ते में 3 बार चिकन खाएं ।
  • सूर्य नमस्कार एवं सर्वांगासन अदि योग करें ।
  • शतावरी एवं अशवगन्धा का सेवन रोजाना करें ।
  • भूख बड़ाने के लिए लीवर टोनिक पिएँ ।

आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से शतावरी , अशवगन्धा , शिलाजीत , केसर , कोंच बीज अदि जड़ी बुटिओं का सेवन करें  ।

सफ़ेद बालों को काला करने के घरेलु उपाए ।

आजकल के समय में जीवन मैं काफी भागदोड़ है इस कारण हम अपने बालों का धेयान नहीं रख पाते और बाल समय से पहले पकने लगते हैं । बालों  के सफ़ेद होने के मुख्य कारण हैं प्रदुषण , तनाव ,अनिद्रा,असंतुलित भोजन ,किसी बीमारी के कारण , एलोपैथी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट, शारीर में पित्त का अधिक होना । आजकल काफी लोग सफ़ेद बालों को छुपाने के लिए कलर करते हैं पर एसा करने से पहले से भी अधिक सफ़ेद बाल आ जाते हैं । आयुर्वेदिक घरेलु उपचार से हम अपने बालों को कुदारती कला कर सकते हैं वो घी जड़ से ।

कुछ आयुर्वेदिक  घरेलु उपाए :

निम्बू के रस में आंवला पाउडर मिलकर लगायें ।

रोजाना शुद्ध देसी घी से सिर की मालिश करें ।

रोजाना नहाने से आधा घंटा पहले प्याज का पेस्ट सर पे लगाएं ।

हफ्ते में दो से तीन बार कच्चे पपीते का लेप लगाएँ ।

तिल के तेल को जड़ो में लगाने से भी बाल काले होते हैं ।

रोजाना आंवले का सेवन करें ।

आधे कप दहीं में चुटकी भर काली मिर्च एवं निम्बू का रस मिलाकर बालों में लगाएं बीस मिनट बाद धो लें ।

अशवगन्धा एवं भृंगराज की जड़ो का पेस्ट नारियाल के तेल में बालों की जड़ों में लगाएं फिर एक घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें ।

दहीं , टमाटर और थोड़ा निम्बू का रस का पेस्ट बनाकर नीलगिरी के तेल में मिलाकर हफ्ते में दो बार मालिश करें ।

Ayurvedic  detox tea to lose fat .

By ayurvedic medicine from mother nature we can detoxify our body and can burn excessive fat from body  by increasing the detoxification capacity of liver . Prepare this detox  herbal tea in morning and sip it all through  the  day  .

Get  these :

  • Cumin seeds- ½ tsp
  • Coriander seeds- ½ tsp
  • Fennel seeds- ½ tsp
  • Water- 5 cups
  • Thermos Flask- 1

How to prepare :

Boil water in morning .

Add cumin, coriander and fennel seeds to the boiling water and continue boiling for 5 more minutes  Cover the pot while the water boils.

Strain the tea and pour it into the thermos flask, Sip small amounts of this detox tea through out the day.

Aloevera juice for losing abdominal fat :

It has many health benefits one of them is to lose belly fat , its regular consumption increases metabolism and have antioxidant properties.

Get these :

  • Aloe vera juice- 30 g
  • Turmeric powder- 3 g
  • Cumin seeds powder- 3 g
  • Tinospora cordifolia powder (giloy/guduchi)- 3g
  • Terminalia chebula powder (haritiki)- 3 g
  • Warm water- ½ glass
  • Honey (optional)- 1 tsp

How to prepare :

  • Mix aloe vera juice and all the other herbs powders in half glass of lukewarm water.
  • If you want it to be sweet, mix a little honey to it.
  • Mix well and drink it in the morning on an empty stomach.
  • After having this herbal aloe vera juice, do not eat anything for about an hour.

रंग गोरा करने के आयुर्वेदिक उपाए ।

गोरेपन का अज कल हर कोई दीवाना है , लड़के हो या लड़की बच्चे हो या बड़े हर कोई गोरा होना चाहता है । हमारे समाज की मानसिकता भी एसी  है की हर कोई गोरी दुल्हन चाहता है । सावली या काली लड़की को बहुत कम लोग पसंद करते हैं । काली  लड़की को बहुत लोग रिजेक्ट ही कर देते हैं । आजकल दफ्तर या दूकान पर काम पर रखते समय भी लोग सुन्दर लड़के या लड़किओं को प्राथमिकता देते हैं । सुन्दर लड़की को रिसेप्शन पे रखते हैं । आजकल लोगों का गोर रंग के प्रति बहुत ही क्रेज है ।

गोरेपन को संभाल के रखने का तरीका ।

धुप में मत निकलें ।

ज्यादा देर तक मत जागें ।

धूल मिट्टी का काम करते समय चेहरा ढ़क कर  रखें ।

पानी ज्यादा मात्र में पिएँ ।

रोजाना व्यायाम करें ।

हरी सब्जी एवं  फल अधिक मात्रा में खाएं ।

रंग गोरा करने का तरीका :

गरेपन के लिए हल्दी , चन्दन, बेसन का पेस्ट बनाकर चेहरे पर 10 से 15 मिन्ट लगायें फिर धो लें ।

निम्बू को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे से धूल के कण निकल जातें हैं ।

कच्चे पपीते को पीस कर चेहरे पर पेस्ट लगाने से भी रंग साफ़ होता है ।

चेहरा धो कर बेकिंग सोडा को पानी में मिला कर पेस्ट 15 मिनट तक लगायें ।

पके हुए केले मैं थोड़ा दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें ।

गुलाबजल को दूध में मिलकर रात को लगाएं ।

अलोवेरा जेल को चेहरे एवं गर्दन पर 30 मिनट के लिए लगायें ।

थोड़े से सूरजमुखी के बीज को दूध में भिगों दें और सुबह इसमें हल्दी एवं केसर डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं ।

आम के छिलके को दूध में पीसकर चेहरे एवं गर्दन पर 20 मिनट के लिए लगाएं ।

थोड़े शहद को कुछ बूँद निम्बू के रस और दही के साथ मिक्स करके लगाएं ।

दिन में दो बार चेहरे पर नारियाल पानी लगाएं ।

अयुश्वेदा आयुर्वेदिक सेंटर में हमारी डॉक्टर्स की टीम द्वारा तईयार की गई विभिन्न फूलों के पराग एवं केसर युक्त क्रीम रंग गोरा करती  है

अनिद्रा ( insomnia) का आयुर्वेदिक हल ।

निद्रा की हमारे शारीर को बहुत आवश्यकता होती है इससे ही हर कार्य सुनियंत्रित रहता है । आज का इंसान ईंट और सेमेंट से बनी दीवारों में घिरकर रह गया है और धूप, शुद्ध जल, शुद्ध हवा कम है ,आजकल हमें पक्षियों की चहचहाहट नही सुनाई देती अपितु गाड़ियों के हॉर्न, पेट्रोल का धुआँ यही हमारी किस्मत में रह गया है। आजकल  की जीवन शेली मैं हम इतने व्यस्त हो गए हैं की आराम के लिए भी टाइम नहीं निकल पाते । कुछ लोग तो पेसे कमाने  के लिए एवं सुख सुविधाओं के लिए ता सोचते है की उनको रात को भी नींद नहीं आती कुछ लोग तो सोने के लिए अंग्रेजी दवाओं का सहारा लेते हैं पर लगातार उपयोग करने से एक तो इन दवाओं की आदत हो जाती है और दूसरा इनके काफी साइड इफेक्ट्स भी होते हैं । रातमें पूरी नींद न लेने से अगले दिन सर दर्द रह सकता है एवं काम में ध्यान नहीं लगता । अनिद्रा के कारण कई प्रकार के रुग भी उत्पन्न हो सकते हैं । कई बार कुछ रोगों की वजह से जेसे शारीर में दर्द अदि की वजह से भी नींद नहीं आती । संतुलित भोजन  न करना एवं जीवनशेली मैं अनियमितता भी अनिद्रा के कारण हैं । अधिक परिश्रम और अत्यंत तनाव , पेट में गड़बड़ी, क़ब्ज़, अनियमित खानपान की वजह से भी यह अनिद्रा बढ़ जाती है ।अत्यधिक चाय और कॉफी लेने से भी वात में गड़बड़ उत्पन्न होती है। मानसिक तनाव से वात में भारी असंतुलन उत्पन्न होता है। व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत महसूस होती है तथा बिस्तर पर करवटें बदलने में ही उसकी रात्रि व्यतीत हो जाती है।

अश्वगंधा: यह जीवनी शक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यंत कारगर है। इसके उपयोग से मन और इन्द्रियों के बीच अच्छा तालमेल बनता है। आयुर्वेद के अनुसार यह तालमेल अच्छी नींद के लिए आवश्यक है । रात्रि सोने से पूर्व दूध अथवा शर्करा और घृत के साथ आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना फायदेमंद है ।

ब्राहमी: रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका काड़ा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन इस रोग में बहुत लाभकारी है. इसके अलावा यह दिमाग़ की कार्यशक्ति को बढ़ाती है ।

जटामानसी: इस औषधि द्वारा मस्तिष्क में प्राकृतिक तंत्रिकासंचारक के स्तर को प्राकृतिक रूप से संतुलित करने में सहायता करता है । इसका उपयोग  उपशामक(sedative), अवसाद-नाशक(anti-depressant), अपस्मार- रोधक(anti-epileptic), एवं हृदय-वर्धक (heart-tonic) के रूप में किया जाता है । यह औषधि ना केवल तनाव की स्थिति में मस्तिष्क को शांत कर निद्रा लाने में सहायक है अपितु थकान से ग्रस्त मान में उर्जा का संचार भी करती है । इससे शरीर के सभी अंगों में कार्यशीलता में वृद्धि और संतुलन का निर्माण होता है । इसका चूर्ण एक-चौथाई चम्मच सोने से 4-5 घंटे पूर्व 1 गिलास पानी में भिगोकर रखें. रात्रि को पानी छान कर पीने से अनिद्रा में लाभ मिलता है ।

बच: यह औषधि मस्तिष्क की विभिन्न समस्यायों के इलाज में प्रयोग होती है । अप्स्मार, सिरदर्द, अनिद्रा इत्यादि सभी रोगों के निदान को करने वाली इस औषधि का प्रयोग बहुत सी दवाइयों में किया जाता है ।

आयुर्वेद में शिरोधारा से बहुत लाभ मिलता है

कंधे का दर्द ( frozen shoulder )

आजकल काफी लोगों में कंधे का दर्द देखने को मिलता है । कुछ लोग इसे नज़रन्दाज कर देते हैं पर आगे चलके ये और ज्यादा घम्भीर रूप ले लेता है और दिन रात तकलीफ देता है । कंधे का दर्द मस्पेशिओं की सोजिश के कारण हो सकता है या सुगर के रोगीओं में शोल्डर जॉइंट में जकड़न से भी हो सकता है । ए सी के सामने या नीचे सोने से बाजु में जकड़न हो सकती है जिससे दर्द होता है । हिलाने डुलाने से दर्द होता है । आमतोर पर फ्रोजेन शोल्डर धीरे धीरे बनता है । कंधे की कोमल मास्पेशिया उम्र के साथ धीरे धीरे प्राकृतिक रूप से बिगड़ने लगती हैं । यह 40 से 70 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिलता है । अधिक वात वर्धक आहार जेसे चावल,राजमह,उड़द की दाल,आलू,मटर,सफ़ेद चने,गोभी,कड़ी,लस्सी अदि से वात अधिक होने से भी कंधा जाम हो सकता है ।

फ्रोजेन शोल्डर के लक्षण :

हर समय कंधों में दर्द रहता है ।

कंधा सुन्न हो सकता है ।

कंधे को थोड़ा भी हिलाने से दर्द होता है ।

बाजु पीछे की तरफ करने में तकलीफ होती है ।

सोते समाये दर्द के कारण नींद खुल जाती है ।

बाजु से कोई सामान उठाया नै जाता ।

कंधो के दर्द से बचने के उपाए :

रोजाना व्यायाम करना चाहिए जिससे मस्पेशिओं में जकड़न न हो ।

कम करते वक्त बीच बीच में बाजु को घुमाते रहें ।

बाजु के भार ना सोयें ।

ठण्ड के मोषम में गर्म कपड़े जरूर पहने कंधे को ठण्ड न लगने दें ।

रोजाना कंधे की तिल के तेल से मालिश करें ।

भोजन में विटामिन एवं कैल्सियम पर्याप्त मात्रा में लें ।

गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें ।

दूध में हल्दी डालकर पिएँ ।

वात वर्धर आहार का परहेज रखें  ।

झुक कर न बेठें ।

छाइयों का समाधान आयुर्वेद के साथ ।

आज कल का युग प्रतयोगिता का युग है , हर कोई एक दुसरे से अच्छा एवं खूबसूरत दिखना चाहता है । पर बीसी लाइफ के कारण कई बार हम अपने अप पर ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण कई बार चेहरे पर दाग ,आँखों के नीचे काले घेरे या छाइयां बन जाती हैं । पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में यह समस्सया अ सकती है । हम खुबसूरत दिखने के लिए मेकअप का सहारा लेते  है । पर असली सुन्दरता है बिना मेकअप के भी आपका चेहरा स्वास्थ एवं साफ़ रहे ।

छाइयों के कारण :

जब हमारे शारीर मैं कैल्सियम , मेगनीसियम या आयरन की कमी हो जाती है तब आँखों के निचे काले घेरे या चेहरे पर दाग से बनने लगते हैं ।

शारीर में खून साफ़ न होने से भी छाइयां ही सकती हैं और चेहरा काला सा दिखने लगता है ।

धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से भी चेहरे का ग्लो कम हो जाता है ।

पेट साफ़ न होना या कब्ज का रहना ।

कम पानी पीना ।

संतुलित आहार न लेना ।

नींद कम आना ।

तनाव एवं सिरदर्द रहना ।

छाइयों को दूर करने के घरेलु उपाय :

तरल पदार्थ अधिक लें जेसे जूस , सूप और खूब सारा पानी पिएँ ।

अनार का जूस पिएँ इससे खून की कमी पूरी होगी और विटामिन्स और मिनरल्स पुरे होंगे ।

रोजाना बादाम के तेल की मालिश करें इससे विटामिन ए मिलेगा ।

रीठे के शिल्कों को पानी में पीस कर लगायें और दुसरे हफ्ते तुलसी के पत्तों को पीस कर उपयोग करें ।

दिन में एक बार शहद एवं सिरके का उपयोग करें ।

अंडे के सफ़ेद भाग को फेंट कर इसमें बादाम का पेस्ट एवं कुछ बुँदे शहद की डालें और 20 मिनट तक चेहरे पर लगा के रखें ।

कच्चे दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी एवं चन्दन पाउडर मिलकर लगायें ।

छाइयां ठीक ना होने पर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लें आयुर्वेद में फेस पैक और दवाई से छाइयों बिलकुल ठीक हो जाती हैं , केसर , चंदन , फूलों के पराग अदि दवाओं से 100% इलाज संभव है .

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के कारण एवं घरेलु उपचार ।

आजकल की भागदोड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत का धयान  पूरी तरह से नहीं  रख पाते और व्यायाम भी कर नहीं पाते जिसके कारण कई तरह के रोग हमें घेरे रखते हैं । जोड़ो के दर्द , कमर दर्द,सर दर्द ,तनाव ,अनिद्रा ,सर्वाइकल दर्द , आज कल आम हो गया है. सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस एक तरह का गर्दन का गाठिया होता है । सभी उम्र के लोगों में और अज कल तो युवाओं में भी ये काफी देखने मैं मिल रही है।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिसके कारण :

अधिक वात वर्धक आहार जेसे चावल , राजमह,उड़द की दाल ,आलू ,मटर,गोभी,कड़ी ,लस्सी अदि से वात अधिक होने के कारण सर्वाइकल दर्द हो सकता है। पोष्टिक आहार न लेने से भी हो सकता है । ज्यादा देर कुर्सी पे बेठे रहना , गर्दन झुका के काम करना , मोबाइल का अधिक प्रयोग करना गर्दन झुका के करने वाले काम इसके कारण एवं बेठने और चलने के गलत पोस्चर से हो सकते हैं । गर्दन पर दबाव पड़ने से या गलत व्यायाम करने से भी समस्या हो सकती है । हमारे सर्वाइकल मनको मैं एक कुदरती झुकाव या कर्व होता है जो समय के साथ सीधा होने लगता है । और आगे चलकर सर्वाइकल की समस्सया को खड़ा करता है ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के लक्षण :

गर्दन में जकड़न एवं दर्द ।

बाजु में दर्द ।

सर के पीछे दर्द या पुरे सर मैं दर्द ।

गर्दन में सोजिश ।

गर्दन से लेकर नीचे कमर तक दर्द जाना ।

चक्कर आना ।

उलटी आना या उलटी का मन होना ।

नींद कम आना ।

गर्दन में कड़ कड़ की आवाज आना ।

गर्दन हिलाने डुलाने से दर्द का अधिक होना ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस के घरेलु उपचार :

व्यायाम करने से दर्द में आराम मिलता है , व्यायाम डॉक्टर  की सलाह से करें क्यूँ की गलत व्यायाम से समस्सया अधिक बड़ सकती है ।

अदरक , सोंठ , हींग अदि में ओषधिय गुण होते हैं और वात को भी शांत करता है खाने में जरुर इस्तिमाल करें ।

रोजाना हल्दी वाला दूध पिएँ इससे दर्द कम होगा और सोजिश में भी आराम मिलेगा ।

लहसुन का इस्तेमाल जरुर करें , या रोजाना लहसुन के २ बीज खाएं ।

तिल के तेल गर्म करके रोजाना हलकी मालिश करें ।

गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें दर्द एवं सोजिश में आराम मिलेगा ।

सर्वाइकल स्पोंडीलाईटिस कोई लाइलाज बीमारी नहीं है थोड़ा ध्यान रखते हुए हम इससे बच सकते हैं ।

समस्सया अधिक होने पे डॉक्टर की सलाह लें . आयुर्वेद में पंचकर्म में पोटली स्वेद एवं ग्रीवा वस्ति से बहुत लाभ होता है ।