आजकल जोड़ो का दर्द एक महामारी की तहर समाज में फेलता जा रहा है , आजकल तो युवायों को भी जोड़ो की समस्सया होने लगी है . सर्दिओं में ये अधिक तंग करता है . जोड़ों के दर्द की कई वजहें हैं जिनमे आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकार , अधिक जोर से पैदा हुआ खिचाव , मोच , चोट अदि . हमारे शारीर मैं काफी सर्रे जोड़ हैं दर्द ज्यादातर घुटनों में , कंधे में,कुल्हे में दर्द के रोगी ज्यादा देखें जाते हैं . शहरों में रहने वाले अस्सी प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी देखि गई है जो दर्द का एक मुख्य कारण है . पेछले बीस सालों में 30 से 50 के आयु वर्ग में अस्टियोआर्थरिटिस तेजी से बड़ रहा है . बड़ी संख्या में लोग मुस्कुलोस्केल्टल डिसऑर्डर से ग्रस्त है जिसे वातरोग भी कहा जाता है .
क्यों होता है जोड़ो का दर्द :
हमारे शारीर में काफी तरह के जोड़ है जब जोड़ों में कार्टिलेज घिस जाते हैं तो हड्डिया आपस में घिसने लगती हैं जिससे सोजिश हो जाती है और दर्द होता है . अधिक वात वर्धक आहार के सेवन से जेसे चावल ,राजमह,उड़द की दाल,आलू ,मटर,गोभी,सफ़ेद चने ,कड़ी,लस्सी अदि से भी वात बड़ने से जोड़ों में दर्द होने लगता है . जायदा देर बेठे रहने से , व्यायाम न करने से , मोटापा होने से, कैल्सियम की कमी से, विटामिन डी की कमी से . फ़ास्ट फ़ूड या अनियमित भोजन से शारीर में आम बनता है जो एक प्रकार का टॉक्सिक मेतिरिअल होता है यह शारीर में घूमता रहता है और कमजोर जोड़ में जाकर वात के साथ मिल के रोग को बनता है . शारीर में यूरिक एसिड की अधिकता से भी जोड़ो का दर्द हो सकता है .आयुर्वेद के अनुसार हड्डी और जोड़ों में संतुलित वायु का निवास होता है।
वायु के असंतुलन से जोड़ भी प्रभावित होते हैं। अतः वायु गड़बड़ा जाने से जोड़ों की रचना में विकृति पैदा होती है। हड्डियों के बीच का जोड़ एक झिल्ली से बनी थैली में रहता है जिसे सायोवियल कोष या आर्टीक्युलेट कोष कहते हैं। जोड़ों की छोटी-छोटी रचनाएं इसी कोष में रहती हैं। हड्डियों के बीच घर्षण न हो, इसलिए जोड़ों में हड्डियों के किनारे लचीले और नर्म होते हैं। यहां पर एक प्रकार की नर्म हड्डियां रहती हैं जिन्हें कार्टीलेज या आर्टीक्युलेट कहते हैं जो हड्डियों को रगड़ खाने से बचाती है। पूरे जोड़ की घेरे हुए एक पतली झिल्ली होती है, जिसके कारण जोड़ की बनावट ठीक रहती है। इस झिल्ली से पारदर्शी, चिकना तरल पदार्थ उत्पन्न होता है जिसे सायनोवियल तरल कहते हें। संपूर्ण सायनोवियल कोष में यह तरल भरा रहता है। किसी भी बाह्य चोट से जोड़ को बचाने का काम यह तरल करता है।
इस तरल के रहते जोड अपना काम ठीक ढंग से करता है। जोड़ों के दर्द का एक कारण शरीर में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड का होना माना गया है। जब गुर्दो द्वारा यह कम मात्रा में विसर्जित होता है या मूत्र त्यागने की क्षमता कम हो जाती है तो मोनो सोडियम वाइयूरेट क्रिस्टल जोड़ों के उत्तकों में जमा होकर तेज उत्तेजना एवं प्रदाह उत्पन्न करने लगता है। तब प्रभावित भाग में रक्त-संचार असहनीय दर्द पैदा कर देता है। जोड़ों के दर्द में रोगियों का वजन अकसर ज्यादा होता है और वे देखने में स्वस्थ एवं प्रायः मांसाहारी और खाने-पीने के शौकीन होते हैं। भारी और तैलीय भोजन, मांस, घी और तेज मसाले, शारीरिक एवं मानसिक कार्य न करना, क्रोध, चिंता, शराब का सेवन, पुरानी कब्ज आदि कारणों से जोड़ो में मानो सोडियम बाइयूरेट जमा होने से असहनीय पीड़ा होती है जिससे मानव गठिया रोग से पीड़ित होता है।
जोड़ो के दर्द से आराम के लिए घरेलु उपाए
# जोड़ का दर्द पैरों के घुटनों, गुहनियों, गदर्न, बाजुओं और कूल्हों में हो सकता है। व्यायाम के अलावा आपका खान-पान पौष्टिक और हेल्दी होना चाहिये, जो जोड़ के दर्द को कम करे .
# रोजाना 15 गिरी अखरोट की रात को भिगो दें और और सुबह खली पेट रोजाना खाएं .
# कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से बदन के जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
# काले तिल और पुराने गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर खाएं। ऊपर से बकरी का दूध पीएं ।
# बड़ी इलायची तेजपात, दालचीनी, शतावर, गंगेरन, पुनर्नवा, असगंध, पीपर, रास्ना, सोंठ, गोखरू इन सबको गिलोय के रस में घोटकर गोली बनाकर, बकरी के दूध के साथ दो-दो गोली सुबह सबेरे खाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
# मजीठ हरड़, बहेड़ा, आंवला, कुटकी, बच, नीम की छाल, दारू हल्दी, गिलोय, का काढ़ा पीएं।
# लहसुन को दूध में उबालकर, खीर बनाकर खाने से गठिया रोग में आराम होता है।
# शहद में अदरक का रस मिला कर पीने से जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
# सौठ, अखरोट और काले तिल एक, दो, चार के अनुपात में पीस कर सुबह-शाम गरम पानी से दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में सेवन करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
# जोड़ों के दर्द के रोगी को भोजन से पहले आलू का रस दो-तीन चम्मच पीने से लाभ होता है। इससे यूरिक एसिड की मात्रा कम होने लगती है।
# जोड़ों के दर्द के रोगी को चुकंदर और सेव का सेवन करते रहना चाहिए। इससे यूरिक अम्ल की मात्रा नियंत्रण में रहती है।
# सौंठ और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर रोगी को सुबह-शाम चाय की तरह सेवन करना चाहिए।
# अश्वगंधा चूर्ण तीन ग्राम एक गिलास दूध में उबालकर पियें। कुछ दिनों तक लगातार यह प्रयोग करने से लाभ होता है।
#लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें। पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से दर्द में लाभ होता है।
# 250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर पकायें। पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।
# नागकेसर के तेल से मालिश करने से आराम होता है।
# प्याज को सरसों के तेल में पका लें। इस तेल से मालिश करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
# मेंहदी के पत्तो को पीसकर जोड़ों पर बांधने से आराम होता है।
# इस रोग का उपचार करने में तुलसी बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में वात विकार को मिटाने का प्राकृतिक गुण होता है। तुलसी का तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
# ज्यादा तकलीफ होने पर नमक मिले गरम पानी का टकोर व हल्के गुनगुने सरसों के तेल की मालिश करें।
# मोटापे पर नियंत्रण रखें। नियमित सूक्ष्म व्यायाम व योगाभ्यास करें।
# भोजन में खट्टे फलों का प्रयोग न करें।
#बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रात: खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।
# जोड़ों के दर्द के समय या बाद में गर्म पानी के टब में कसरत करें या गर्म पानी के शॉवर के नीचे बैठें। आपको निश्चित ही राहत मिलेगी।
# दर्द घटाने के बाम, क्रीम आदि बार-बार इस्तेमाल न करें। इनके द्वारा पैदा हुई गर्मी से राहत तो मिलती है, पर धीरे-धीरे ये नुकसान पहुंचाते हैं।
# जोड़ों के दर्द के लिए चमत्कारिक दवा, तेल या मालिश वगैरह के दावे बहुत किए जाते हैं। इनको इस्तेमाल करने से पहले एक बार परख लें।
# एरंडी के तेल को गर्म करो और उसमे लहसुन की कलियाँ जला दो । ये तेल लगाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है
# 2 ग्राम दालचीनी पावडर और एक चम्मच शहद, एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से तुरंत असर होता है।
रोग ठीक न होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें ,आयुर्वेद में जानू वस्ति एवं दवाओं से जोड़ो क दर्द के इलाज में बहुत फायदा होता है