अनिद्रा ( insomnia) का आयुर्वेदिक हल ।

निद्रा की हमारे शारीर को बहुत आवश्यकता होती है इससे ही हर कार्य सुनियंत्रित रहता है । आज का इंसान ईंट और सेमेंट से बनी दीवारों में घिरकर रह गया है और धूप, शुद्ध जल, शुद्ध हवा कम है ,आजकल हमें पक्षियों की चहचहाहट नही सुनाई देती अपितु गाड़ियों के हॉर्न, पेट्रोल का धुआँ यही हमारी किस्मत में रह गया है। आजकल  की जीवन शेली मैं हम इतने व्यस्त हो गए हैं की आराम के लिए भी टाइम नहीं निकल पाते । कुछ लोग तो पेसे कमाने  के लिए एवं सुख सुविधाओं के लिए ता सोचते है की उनको रात को भी नींद नहीं आती कुछ लोग तो सोने के लिए अंग्रेजी दवाओं का सहारा लेते हैं पर लगातार उपयोग करने से एक तो इन दवाओं की आदत हो जाती है और दूसरा इनके काफी साइड इफेक्ट्स भी होते हैं । रातमें पूरी नींद न लेने से अगले दिन सर दर्द रह सकता है एवं काम में ध्यान नहीं लगता । अनिद्रा के कारण कई प्रकार के रुग भी उत्पन्न हो सकते हैं । कई बार कुछ रोगों की वजह से जेसे शारीर में दर्द अदि की वजह से भी नींद नहीं आती । संतुलित भोजन  न करना एवं जीवनशेली मैं अनियमितता भी अनिद्रा के कारण हैं । अधिक परिश्रम और अत्यंत तनाव , पेट में गड़बड़ी, क़ब्ज़, अनियमित खानपान की वजह से भी यह अनिद्रा बढ़ जाती है ।अत्यधिक चाय और कॉफी लेने से भी वात में गड़बड़ उत्पन्न होती है। मानसिक तनाव से वात में भारी असंतुलन उत्पन्न होता है। व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत महसूस होती है तथा बिस्तर पर करवटें बदलने में ही उसकी रात्रि व्यतीत हो जाती है।

अश्वगंधा: यह जीवनी शक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यंत कारगर है। इसके उपयोग से मन और इन्द्रियों के बीच अच्छा तालमेल बनता है। आयुर्वेद के अनुसार यह तालमेल अच्छी नींद के लिए आवश्यक है । रात्रि सोने से पूर्व दूध अथवा शर्करा और घृत के साथ आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना फायदेमंद है ।

ब्राहमी: रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका काड़ा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन इस रोग में बहुत लाभकारी है. इसके अलावा यह दिमाग़ की कार्यशक्ति को बढ़ाती है ।

जटामानसी: इस औषधि द्वारा मस्तिष्क में प्राकृतिक तंत्रिकासंचारक के स्तर को प्राकृतिक रूप से संतुलित करने में सहायता करता है । इसका उपयोग  उपशामक(sedative), अवसाद-नाशक(anti-depressant), अपस्मार- रोधक(anti-epileptic), एवं हृदय-वर्धक (heart-tonic) के रूप में किया जाता है । यह औषधि ना केवल तनाव की स्थिति में मस्तिष्क को शांत कर निद्रा लाने में सहायक है अपितु थकान से ग्रस्त मान में उर्जा का संचार भी करती है । इससे शरीर के सभी अंगों में कार्यशीलता में वृद्धि और संतुलन का निर्माण होता है । इसका चूर्ण एक-चौथाई चम्मच सोने से 4-5 घंटे पूर्व 1 गिलास पानी में भिगोकर रखें. रात्रि को पानी छान कर पीने से अनिद्रा में लाभ मिलता है ।

बच: यह औषधि मस्तिष्क की विभिन्न समस्यायों के इलाज में प्रयोग होती है । अप्स्मार, सिरदर्द, अनिद्रा इत्यादि सभी रोगों के निदान को करने वाली इस औषधि का प्रयोग बहुत सी दवाइयों में किया जाता है ।

आयुर्वेद में शिरोधारा से बहुत लाभ मिलता है

Leave a Reply

Your email address will not be published.