पेट दर्द के कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार

पेट में दर्द के कई कारण हो सकते हैं , कई बार कब्ज कई बार कोई गंभीर बीमारी से तो कभी आंतों में विकार के कारण इसे ही कुछ अन्य लक्षण भी पेट दर्द का कारण बन सकते है. हालाँकि हल्का – फुल्का पेट दर्द गुनगुना पानी पिने से ठीक हो सकता है लेकिन अगर बार बार पेट दर्द तंग करे तो इसका कारण कोई बरी बीमारी भी हो सकती है , एसे में डॉक्टर की सलाह जरुर लेनी चाहिए . पेट के उपर की तरफ दर्द गेस्ट्रइटीस , लीवर में खराबी , अमाशय में छेद के कारण हो सकता है. पेट के दिए तरफ दर्द हो तो इसका कारण पित्त की तथ्री का होना हो सकता है . पेट के बिचोसिच दर्द का कारण पेंक्रिअज़ की खराबी . पेट के निचले हिस्से मैं दर्द हो तो एपेंडीसीटीस , मूत्राशय में पथरी अथवा संक्रमण के कारण हो सकता है . महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द का कर्रण गर्भाशय में किसी तरह की खराबी , फ़िब्रोइड्स, एंडोमेटराइटीस अथवा माहवारी की कोई अन्य बीमारी हो सकता है . पेट में निचले हिस्से में एक तरफ या पीछे की तरफ दर्द होने का कारण गुर्दे की पथरी या गुर्दे की कोई अन्य बीमारी हो सकता है . एसिडिटी या अल्सेर की शिकायत होने पर पेट बीचोबीच अथिक दर्द होता है . इन बिमारिओं के दर्द के लिए अगर सही समय पर इलाज न किआ जाए तो यही बिमरियन स्वस्थ के लिए बड़ी समस्या बन सकती हैं . पेट के दर्द के लिए अल्ट्रासाउंड , एंडोस्कोपी , एक्सरे , सिटी स्कैन और रक्त की जाँच कराइ जाती है , जिससे की सही समय पर इलाज किया जा सके . जरुरी नहीं की दर्द इन बिमारिओं की वजह से हो कई बार ओवरइटिंग , गलत खान पान से या कब्ज होने के कारण हो सकता है. बचों मैं पेट के कीड़ों के कारण भी पेट बर्ड होता है . कुछ घरेलु उपचार से हम पेट दर्द से आराम पा सकते हैं जेसे #पेट दर्द में हींग लाभकारी है # २ ग्राम हींग पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं नाभि पर एवं आस पास पेस्ट लगाएं # अजवायन को तवे पर सेक कर काले नमन के साथ पीसकर पाउडर बनाकर २ से ३ ग्राम गर्म पानी के साथ दिन में ३ बार लें # पुदीने और निम्बू का रस  १-१ चम्मच लें इसमें आधा चमच अदरक का रस और थोरा सा कला नमक मिलकर दिन में ३ बार उपयोग करें # जीरे को तवे पर सेक कर २-३ ग्राम गरम पानी के साथ लें या इसे चबाकर भी खा सकते हैं # सुखी अदरक मुह में रखकर चूसने से भी पेट दर्द में रहत मिलती है # बिना दूध की चाये पीने से भी थोरा आराम मिलता है  # अदरक का रस नाभि स्थल पर मालिश से भी आराम मिलता है # एसिडिटी वाले पेट दर्द में पानी में थोरा मीठा सोडा डालकर पिने से आराम मिलेगा # भुना हुआ जीरा , काली मिर्च , सोंठ , लहसुन , धनिया , हींग सुखी , पुदीना पत्ती, सबकी बराबर मात्रा लेकर बारीक चूरण बनाए इसमें सा नमक मिलाए इसे खाने के बाद गरम पानी से लें # अदरक का रस और एरंडी का तेल १-१ चमच मिलकर दिन में ३ बार लें # १ चमच सुध घी में हरे धनिए का रस मिलकर लें # अनार क बीज में थोरा कला नमक एवं कलि मिर्च पाउडर मिलाकर दिन में डो बार लें # मेथी क बीज को पानी में भिगोकर पीसकर २०० ग्राम दही मिलकर दिन में डो बार लें # इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे भिगोकर रात को लेने से मरोड़ और पेचिश ठीक होती है # १५ ग्राम सोंफ रात भर एक गिलास पानी में भिगो कर सुबह छानकर खली पेट लें . कभी कभी पेट दर्द किसी गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकता है इसलिए लगातार अथवा तेज दरद में डाक्टर की सलाह जरुर लें .

खाने में अरुचि या भूख ना लगना है एक गंभीर समस्या … अब करें इस समस्या का आयुर्वेदिक उपचार … जानिए कैसे

Ayurvedic Tips For Loss Of Appetite (Anorexia)

 जाने क्या है खाने में अरुचि या भूख ना लगने का आयुर्वेदिक इलाजकही बन ना जाये ये आपके लिए कोई बड़ी समस्या समय रहते करे इसका इलाज आयुर्वेदिक उपायों द्वारा |

आयुर्वेद में कई बेहद प्राचीन औषधिया छुपी हुई है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को मेहत्व्पूर्ण स्थान प्रदान करती है | आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली मनुष्य को प्राकृतिक साधनों के माध्यम से स्वस्थ और निरोग रखने पर जोर देती है। आयुर्वेद में भोजन, योग और व्यायाम को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। भूख ना लगना अकसर कई रोगों के लक्षण भी माना जाता हैं। आयुर्वेद के अनुसार भोजन से जुड़ी एक अहम बीमारी है खाने में अरुचि होना या भूख ना लगना। यह एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति की खाने-पीने की इच्छा समाप्त हो जाती है। कमजोर पाचन तंत्र, पीलिया, तनाव, अनिद्रा आदि बिमारियों में भी मनुष्य को भूख लगना बंद हो जाती है। आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ घरेलु नुस्खे लेकर आये है जिनके उपयोग से आप अपनी इस समस्या से आसानी से निजाद पा सकते हैं |

 

क्या हैं अरुचि या भूख ना लगने के आयुर्वेदिक उपाय … जानिए  (Ayurvedic Tips for Loss of Appetite)

 

अदरक की चटनी का प्रयोग करें :- भोजन से आधे घंटे पहले अदरक की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा सैंधा नमक मिलाकर खाने से भूख ना लगने की बीमारी समाप्त हो जाती है।

 

अजवायन और काला नमक इस्तेमाल करें :- अजवायन में काला नमक स्वादनुसार मिलाकर पीस ले तथा गरम पानी से आधा चम्मच इस चूर्ण को ले। इस चूर्ण को लेने से अरुचि नष्ट हो जाती है।

 

काली मिर्च, जीरा हिंग अनारदाना और सेंधा नमक का इस्तेमाल करें :- काली मिर्च, आधा चम्मच भुना जीरा, एक चम्मच सिका हुआ हींग, चने की दाल, अनारदाना 70 ग्राम और सैंधा नमक स्वादनुसार मिलाकर पीस लें। खाने से पहले आधा चम्मच यह चूर्ण खाने से भूख ना लगने की शिकायत दूर होती है।

 

निम्बू का इस्तेमाल करें :- भोजन के साथ नींबू, नमक एवं काली मिर्च खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है।

 

पुदीना का इस्तेमाल करें :- एक गिलास पानी में 3 ग्राम पुदीना, स्वादनुसार जीरा, हींग, काली मिर्च, नमक डालकर गरम करके पीने पर भी अरुचि में लाभ होता है।

अब पाएं कब्ज़ को दूर करने के कुछ सरल आयुर्वेदिक उपचार … जानिये क्या हैं ये उपाय

Ayurvedic treatment for constipation

आयुर्वेद के अनुसार कब्ज़ शरीर में वात के बढ़ने से होती है। वात प्रकृति वाले व्यक्तियों को कब्ज़ होने की संभावना ज्यादा रहती है। आयुर्वेद के अनुसार कब्ज़ का मूलभूत कारण हमारा भोजन है।  यदि भोजन में फाइबर और तरल पर्दार्थों की कमी हो तो हमारे मल को शरीर से बाहर निकलने में परेशानी होती है | इस अवस्था को हम कब्ज़ के नाम से जानते हैं | इसलिए आज हम आपके लिए इसे पूरी तरह से ठीक करने के लिए कुछ सरल घरेलु उपाय लेकर आये हैं जिनके उपयोग से आप आप कब्ज़ जैसी बड़ी समस्या से जल्द निजाद पा सकते हैं |

 

क्या हैं कब्ज़ को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार … जानिए
(
Ayurvedic Treatment for hard stool and constipation)

अनिमा का इस्तेमाल करें :- हल्के गर्म तिल के तेल से अनिमा लेने पर कड़े कब्ज़ में तुरन्त राहत मिलती है।

तिल के तेल का उपयोग करें :- तिल के तेल से पेट पर मालिश करने से भी कब्ज़ में आराम मिलता है।

खाने में इन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करें :- कफ युक्त शरीर वालों के लिए बासमती चावल, कच्ची सब्जियाँ और फ़ल जैसे की सेब, केला, अंगूर का सेवन लाभदायक होता है।

ग्लिसरीन का इस्तेमाल करें :- ग्लिसरीन से पेट पर मालिश करने से भी कब्ज़ में आराम मिलता है।

त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करें :- त्रिफला के सेवन से पुरानी कब्ज़ में बहुत आराम मिलता है। रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज़ दूर होती है।

ईसबगोल की भूसी और त्रिफला इस्तेमाल करें :- ईसबगोल की भूसी और त्रिफला  दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज़ दूर हो जाती है।

नीम का प्रयोग करें :- नीम पित्त दोष के लिए एक बहुत उपयुक्त जड़ी बूटी है। इसके उपयोग से पित्त दोष में आराम मिलता है और छोटी आँत की इन्फ्लेमेशन कम होती है जिस कारण वहाँ से मल को आगे बढ़ने में आसानी होती है।

 

समय पर इलाज ना मिलने से अल्सर हो सकता है जानलेवा ..

पाइये अल्सर से छुटकारा आयुर्वेदिक नुस्खों द्वारा

पेट में अल्सर एक खतरनाक बीमारी है  | अल्सर होने पर पेट के अंदर की सतह पर छाले हो जाते हैं जो धीरे-धीरे जख्मों में बदलने लगते हैं। अल्सर से परेशान व्यक्ति को कई अन्य शारीरिक समस्याएओं का सामना करना पड़ता है | पेट का अल्सर यानि पेप्टिक अल्सर दो तरह का होता है- एक डयूडिनल अल्सर और दूसरा है गैस्ट्रिक अल्सर। समय पर इलाज न मिलने से अल्सर के रोगी की मौत भी हो सकती है। इस रोग में रोगी को पेट संबंधी दिक्कते जैसे पेट में जलन, दर्द और उल्टी में खून आदि आने लगता है। कुछ समय बाद जब यह अल्सर फट जाता है तब यह उसके लिए जानलेवा बन जाता है।

क्या हैं अल्सर के मुख्य लक्षण … जानिए  

  • ड्यूडिनल अल्सर का मुख्य लक्षण है खाली पेट में दर्द होना और खाना खाने के बाद ही दर्द का ठीक होना। वहीं पेप्टिक अल्सर में इंसान को भूख कम लगती है।
  • मल से खून का आना।
  • सीने में जलन।
  • बदहजमी का होना।
  • वजन का अचानक से घटना। आदि

क्यों होता है अल्सर … जानिए इसके कारण

  • अत्याधिक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना।
  • अधिक धूम्रपान करना।
  • अधिक चाय या काफी पीना।
  • अधिक तनाव लेना।
  • अधिक गरम मसालें खाना।
  • गलत तरह के खान-पान करना।
  • अनियमित दिनचर्या।
  • हेलिकौबैक्ट पायलोरी बैक्टीरिया की वजह से।

क्या है अल्सर का आयुर्वेदिक इलाज… जानिए

  1. शहद :- पेट के अल्सर को कम करने के लिए शहद का इस्तेमाल करें क्यूंकि इसमें में ग्लूकोज पैराक्साइड होता है जो पेट के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है |
  2. नारियल :- नारियल अल्सर को बढ़ने से रोकता है। नारियल में मौजूद एंटीबेक्टीरियल गुण और एंटी अल्सर गुण होते हैं इसलिए अल्सर के रोगी को नारियल तेल और नारियल पानी का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
  3. केला :- केले का नियमित सेवन अल्सर को बढ़ने से रोकता है। केले में भी एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो पेट की एसिडिटी को ठीक करते हैं। पका और कच्चा हुआ केला खाने से अल्सर के रोगी को फायदा मिलता है।
  4. सहजन :- दही के साथ सहजन के पत्तों का बना पेस्ट दिन में कम से कम एक बार अवश्य लें | इस उपाय से पेट के अल्सर में राहत मिलती है।
  5. लहसुन :- लहुसन की तीन कच्ची कलियों को कूटकर पानी के साथ सेवन करने से अल्सर जल्द ठीक हो जाता है ।
  6. गाय का दूध :- गाय के दूध में हल्दी मिलाकर पीने से रोगी को बहुत आराम मिलता है | हल्दी में मौजूद गुण अल्सर को बढ़ने नहीं देते हैं।

सलाह :- यदि समस्या हलकी ही है तो इसे घरेलु नुस्खों से नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए | अगर हालत ज्यादा ख़राब हो तो चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक हो जाता है कोई भी नुस्खे घर में अपनाने के दौरान अपने विवेक का इस्तेमाल ज़रूर करें आम तौर पर घरेलु नुस्खों से कोई नुक्सान नही होता पर किसी भी तरह की एलर्जी के दौरान या अन्य शारीरिक कमजोरी में डॉक्टर से परामर्श लेकर ही नुस्खे इस्तेमाल करें